बोकारो, सदर अस्पताल में सोमवार को यक्ष्मा (टीबी) पर गोष्ठी का आयोजन किया गया. अध्यक्षता अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अरविंद कुमार व संचालन एपिडेमियोलॉजिस्ट सह अस्पताल प्रबंधक पवन श्रीवास्तव ने किया. उपाधीक्षक ने कहा कि यक्ष्मा से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी है. जागरूकता के अभाव में यक्ष्मा प्रभावित व्यक्ति के संपर्क में रहनेवाले भी संक्रमण के शिकार हो जाते हैं. ध्यान रखना होगा कि यक्ष्मा के मरीज के संपर्क में जाने वाले व्यक्ति को मुंह ढक कर रखना होगा. यक्ष्मा मरीज व पीड़ित के संपर्क में आने वालों की सदर अस्पताल में नि:शुल्क जांच की जा रही है. प्रबंधक ने कहा कि सरकार की ओर से एक मरीज (फेफड़ा यक्ष्मा) पर कम से कम 25 हजार रुपये खर्च किये जाते हैं. जो छह माह की अवधि के लिए होता है. इसमें छह माह की दवा, सभी तरह की जांच व हर माह सहायता राशि शामिल है. इसके अलावा मरीज की स्थिति पर खर्च की राशि तय होती है. कई ऐसे मरीज होते हैं. जो काफी गंभीर स्थिति में होते हैं. ये अस्पताल में दाखिल होते हैं, जिन्हें तरह की महंगी दवा, ऑक्सीजन व पौष्टिक खाद्य पदार्थ मिलता है. ऐसे में राशि की सीमा तय नहीं होती है. मरीज की जान बचाना ही लक्ष्य होता है.
यक्ष्मा के लक्षण को ऐसे पहचानें
शारीरिक कमजोरी, थकान, दर्द, भूख न लगना, लगातार वजन में कमी, हल्का बुखार, फेफड़ों के यक्ष्मा में सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, लगातार खांसी, बलगम में खून का आना प्रमुख लक्षण है. यक्ष्मा जिस अंग में होता है. लक्षण उसी अनुसार आते हैं. रीढ़ की हड्डी में यक्ष्मा होने से कमर दर्द की समस्या, किडनी में यक्ष्मा में होने पर यूरिन में रक्त आना, दिमाग में यक्ष्मा होने पर दौरा पड़ना, मिर्गी, बेहोशी छाना, पेट में यक्ष्मा होने पर पेटदर्द व लगातार दस्त होना शामिल है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है