बोकारो, स्वामी अद्वैतानंद सरस्वती ने कहा कि जीवन को सफल बनाने के लिए आवश्यक है ज्ञान अर्जन कर धीरे-धीरे इंद्रिय शमन करे. सत्संगति और गुरु कृपा से प्राप्त शास्त्र ज्ञान के नियमित अभ्यास से धीरे-धीरे व्यक्ति योगस्थ हो जाता है. एक सफल सन्यासी-सा जीवन जीने योग्य हो जाता है. श्री सरस्वती चिन्मय मिशन बोकारो के तत्वावधान में आयोजित छह दिवसीय ज्ञान-यज्ञ के दूसरे दिन शनिवार को कथा का वाचन कर रहे थे. स्वामी अद्वैतानंद ने कहा कि मन के विकार ही हमारे विकास के शत्रु हैं. इंद्रिय विषयों का मोह ही आसक्ति है. राग, द्वेष, काम, क्रोध, लोभ,मोह आदि सभी संवेग हमारे शत्रु हैं. यह हमें परमात्मा से विमुक्त होकर संसार में फंसाते हैं. हम अपने आत्म स्वरूप को भूल जाते हैं. हमारा वास्तविक सुख छिन जाता है. स्वयं को जानिए. उसके आनंद का अनुभव कीजिए. संन्यासी की तरह मोह का त्याग कीजिए.
योगी समान एक सफल जीवन जीने के लिए आकर्षण पर करें विजय
स्वामी अद्वैतानंद ने धन्याष्टकम के दूसरे श्लोक की व्याख्या करते हुए कहा कि योगी समान एक सफल जीवन जीने के लिए प्राणी को विषयों के आकर्षण पर विजय प्राप्त करना होगा. इसी से अंततः आत्म स्वरूप का ज्ञान होगा, सत्य का साक्षात्कार होगा. विषयों पर विजय प्राप्त करने का तात्पर्य है कि हम अपने ऊपर इतना संयम रखें कि विषयों की कामना हमारे मन में विक्षोभ उत्पन्न ना करें.ये थे मौजूद
विशिष्ट अतिथि एसपी हरविंदर सिंह विशेष रूप से उपस्थित थे. विद्यालय प्रबंधन द्वारा उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया. चिन्मय मिशन बोकारो की आवासीय आचार्या स्वामिनी संयुक्तानंद सरस्वती, विद्यालय अध्यक्ष बिश्वरूप मुखोपाध्याय, सचिव महेश त्रिपाठी, कोषाध्यक्ष आरएन मल्लिक, प्राचार्य सूरज शर्मा, उप-प्राचार्य नरमेंद्र कुमार व हेडमास्टर गोपाल चंद्र मुंशी उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है