बोकारो, जिले के लोग लगातार साइबर क्राइम के शिकार हो रहे हैं. अपराधी सरकारी योजना का लाभ दिलाने, बिजली कटने, लॉटरी निकलने समेत अन्य लोभ देकर लोगों को चंगुल में फंसाते और उनका अकाउंट खाली कर देते हैं. ऐसा घटना जिले में लगातार हो रही है. इससे लोगों को बचाने के लिए प्रभात खबर ने साइबर अपराध के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया है. सोमवार को जन आंदोलन बोकारो के सेक्टर वन स्थित संत जेवियर्स स्कूल पहुंचा. यहां एसपी मनोज स्वर्गियारी ने साइबर अपराध से बचने केलिए छात्रों को कई टिप्स दिये. साथ ही उन्हें दूसरों को भी जागरूक करने को कहा.
साइबर क्राइम के खिलाफ संत जेवियर्स स्कूल सेक्टर वन में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन बोकारो के एसपी मनोज स्वर्गियारी, विशिष्ट अतिथि मुख्यालय डीएसपी अनिमेष कुमार गुप्ता, साइबर थाना इंचार्ज इंस्पेक्टर अशोक कुमार, स्कूल के प्राचार्य फादर अरूण मिंज एस ने संयुक्त रूप से किया. इस दौरान जे, साइबर सेल के सब इंस्पेक्टर रवींद्र कुमार, कृष्ण कुमार कुशवाहा, स्कूल के कोषाध्यक्ष फादर मनोज कुजूर, उप प्राचार्य देवाशीष गुप्ता, दीपक चौधरी सहित कई अतिथि मौजूद थे.साइबर अपराधियों के प्रलोभन में नहीं आयें : एसपी
एसपी मनोज स्वर्गियारी ने कहा बिना जाने समझे किसी भी लिंक का इस्तेमाल किसी भी हाल में नहीं करें. साइबर अपराधी हर तरह के प्रलोभन देकर लोगों को उलझन में डाल देते हैं. ऐसी स्थिति में समझ नहीं आये, तो निश्चित रूप से साइबर सेल का सहारा लें. अथवा साइबर एक्सपर्ट से पूछताछ करें. सावधानी के साथ डिजिटल दुनिया में प्रवेश करें. हर किसी के साथ जरूरी सभी सूचनाओं को किसी भी हाल में साझा नहीं करें. कहा ऑनलाइन हमदर्दी दिखाने वाला आपको भटकने को तैयार बैठा है. आपकी जागरूकता से ही उसके मंसूबों पर पानी फिरेगा. जब आपको लगे कि आप साइबर अपराधी के झांसे में आकर ठगी के शिकार हो चुके हैं, तो 10 मिनट के अंदर साइबर सेल से संपर्क करें. 1930 या 112 नंबर पर डायल कर अपनी शिकायत दर्ज करायें. मामला तुरंत रजिस्टर्ड कर लिया जाता है. मामला रजिस्टर्ड होते ही साइबर सेल की टीम तुरंत एक्शन में आ जाती है. पैसे की ठगी हुई है, तो 10 मिनट के अंदर रिवकर किया जा सकता है. साइबर ठग एकाउंट में पैसा लेने के साथ ही पैसे को दूसरे एकाउंट में ट्रांसफर कर लेते हैं. एक बार पैसा दूसरे एकाउंट में ट्रांसफर हो जाता है, तो साइबर सेल की परेशानी थोड़ी बढ़ जाती है.जामताड़ा में 16 से 26 वर्ष आयु वर्ग के लोग साइबर फ्राॅड में शामिल
श्री स्वर्गियारी ने कहा : जामताड़ा में 90 प्रतिशत लोग खेतीबारी या दुकान पर निर्भर हैं. 10 पर्सेंट ही साइबर क्रिमिनल है. जामताडा का बार्डर वेस्ट बंगाल से सटा है. ऐसे में साइबर क्रिमिनल बंगाल से सिम खरीद कर आसानी से साइबर फ्राड का धंधा चला रहे हैं. गौर करने वाली बात है कि जामताडा में 16 वर्ष से 26 वर्ष की आयु वर्ग के लोग हीं साइबर फ्राड के धंधे से जुडा है. इसके बाद साइबर फ्राड से लोग किनारा कर दूसरे धंधे में जुड़ जाते हैं. साइबर फ्राड का धंधा फेक सिम कार्ड से जरिये होता है. ऐसे में मुख्य किरदार को पकड़ा पाना मुश्कित होता है. जामताड़ा की कहानी एक लड़के से शुरू होती है, जो मुंबई में रहता था. उसने साइबर फ्रॉड करनेवाले से साइबर अपराध का धंधा सीखा. इसके बाद गांव में आकर दूसरे को फ्राॅड करना बताया. इसके बाद यह धंधा फैल गया. साइबर अपराधी जरूरत के हिसाब से लोगों को ठगने लगा.
ट्रैफिक पुलिस ने परेशान किया तो आइपीएस बनने का लिया संकल्प
एसपी ने कहा समाज की सेवा करने का सबसे सशक्त माध्यम सिविल सेवा है. आइएएस या आइपीएस बन कर आप जनता से सीधे जुड़ सकते हैं. हर व्यक्ति को तुरंत सहायता कर सकते हैं. इससे आपको सकून के साथ-साथ मन को शांति भी मिलेगी. मेरे आइपीएस बनने की कहानी कुछ अलग है. मैं इंजीनियरिंग का स्टूडेंट था. एक बार ट्रैफिक पुलिस के चक्कर में पड गया. थोडी परेशानी हुई. इसके बाद मेंने मन में ठाना कि मैं इन सभी का बॉस बनूंगा. एक संकल्प जीवन की दिशा बदल सकती है. आज मैं आइपीएस हूं. समाज की सेवा से सकून मिलता है.बच्चों का बढ़ाया उत्साह, कहा टॉपर बनने के लिए कुछ अलग करना होगा
श्री स्वर्गियारी ने कहा : मैं कक्षा सातवीं का विद्यार्थी था. परीक्षा में 55 प्रतिशत अंक हासिल हुआ. घर गया, तो पिताजी अखबार पढ़ रहे थे. उस अखबार में दसवीं की रिजल्ट आने के बाद एक छात्रा की फोटो छपी थी. मैंने पिताजी से पूछा अखबार में फोटो कैसे छपेगा. पिताजी ने जवाब दिया कि बेहतर रिजल्ट लाकर दिखाइये. इसके बाद मैंने मेहनत करने शुरू कर दी.लगातार पढ़ाई करने के बाद 12 वीं कक्षा में स्टेट टॉपर बना. टॉपर बनना आपके हाथ में है. कुछ अलग करके दिखाना होगा.कम पढ़े लिखे लोगों को आसानी से बनाते हैं शिकार : डीएसपी
मुख्यालय डीएसपी अनिमेष कुमार गुप्ता ने कहा कि कम पढ़े-लिखे लोगों को साइबर क्रिमिनल आसानी से गुमराह कर लेते हैं. उन्हें बताया जाता है कि आपके खाते में बाहर से पैसा आयेगा. कुछ आपको दे देंगे. बस खाता का इस्तेमाल करेंगे. लोग आसानी से झांसे में आ जाते है. जब मामला बढ़ जाता है, तो पता चलता है कि बड़ा क्राइम हो गया. ऑनलाइन शॉपिंग के मामले में भी होशियार रहें. पैसा रिफंड के नाम पर कंपनी का लिंग बता कर भेज दिया जाता है. जब आप लिंक कर टच करेंगे, तो आपके खाते से जुड़ी सभी जानकारी साइबर फ्राड के पास चली जाती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है