बोकारो, बोकारो स्टील प्लांट की क्षमता को मौजूदा 5.25 एमटीपीए से बढ़ाकर 7.55 एमटीपीए करने के लिए लगभग ₹20,000 करोड़ का निवेश प्रस्तावित है. इस विस्तार योजना से 2500 से ज्यादा प्रत्यक्ष व लगभग 10000 से ज्यादा अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की संभावना है. प्रथम चरण की मंजूरी मिलने के बाद जनवरी-2025 में केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी बोकारो स्टील प्लांट का दौरा किया था, जहां उन्होंने इस महत्वाकांक्षी विस्तार योजना की औपचारिक घोषणा भी की थी, पर बोकारो के अस्थिर औद्योगिक परिवेश को देखते हुए उक्त महत्वाकांक्षी परियोजना अब खटाई में पड़ सकती है.
बोकारो इस्पात संयंत्र के स्थिरीकरण के लिए आवश्यक छोटी-बड़ी परियोजनाएं जैसे जर्जर तेनु नहर के विकल्प के तौर पर दामोदर नदी से वैकल्पिक जलापूर्ति परियोजना आज पांच साल के अथक प्रयास के बाद भी पूरी नहीं हो पायी है. ऊपर से आये दिन हो रहे घेराव, आंदोलन आदि ने स्थिति और विकट कर दी है. स्थानीय प्रशासन भी इस मामलों पर उदासीन रवैया रखता दिखता है.क्या-क्या होना है विस्तारीकरण योजना में
बीएसएल के विस्तारीकरण योजना में एक नये 4500 क्यूबिक मीटर का ब्लास्ट फर्नेस, एक थिन स्लैब कास्टिंग व डायरेक्ट रोलिंग सुविधा, एक कैल्सीनिंग प्लांट, एक स्टैम्प-चार्ज कोक ओवन बैटरी और एक सिंटर प्लांट विस्तार के साथ बड़े पैमाने पर ओवरहाल भी शामिल है. इससे प्लांट की उत्पादन-उत्पादकता बढ़ेगी. वृहद स्तर के पूंजी व तकनीकी प्रगति के निवेश से न केवल बोकारो इस्पात संयंत्र को मजबूती मिलेगी, बल्कि आस-पास के पूरे क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा.क्या इतना भारी निवेश करना सुरक्षित होगा ?
बीएसएल और बोकारो की परिस्थितियों के कारण यह चर्चा में है कि क्या बोकारो में इतना भारी निवेश करना सुरक्षित होगा ? अगर ऐसा होता है, तो यह ना केवल बोकारो बल्कि पूरे प्रदेश के औद्योगिक प्रगति के लिए झटका साबित होगा. इतिहास में देखा जाये, तो बोकारो पहले भी इस दिशा में सेल की अन्य औद्योगिक इकाइयों जैसे दुर्गापुर, राउरकेला, भिलाई आदि से पिछड़ चुका है. विस्तारीकरण योजना ने बोकारो को एक बार फिर खुद को पुनर्स्थापित करने का अंतिम मौका दिया है. सवाल : बोकारो मौका का लाभ उठायेगा.
अगर सकारात्मक बदलाव होता नहीं दिखा तो पड़ेगा असर
बोकारो के हितधारकों, जनप्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों व जनता के लिये घोर चिंतन का विषय है. समय रहते इस दिशा में यदि कोई सकारात्मक बदलाव होता नहीं दिखा, तो ना सिर्फ बोकारो, बल्कि पूरे प्रदेश के विकास पर भी इसका गहरा असर पड़ सकता है. कारण, बीएसएल से हीं बोकारो की पहचान है. बीएसएल है तो बोकारो है. इसलिये बीएसएल का विस्तार हर हाल में जरूरी है. झारखंड की के प्रमुख उद्योगों में बीएसएल की अग्रणी भूमिका है. इसलिये इसका विस्तार बोकारो के साथ झारखंड के लिये भी जरूरी है.
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