सीपी सिंह, बोकारो, जरीडीह प्रखंड की भस्की पंचायत का रोरिया गांव तीन ओर से गवई नदी व एक ओर से पहाड़ से घिरा है. गांव में आज तक आवागमन की सुविधा नहीं है. ग्रामीण 12 वर्षों से गवई नदी पर पुल बनाने की मांग कर रहे हैं, किंतु शिलान्यास के सिवा उन्हें कुछ नहीं मिला. सात साल के भीतर तीन बार पुल का शिलान्यास हो चुका है. गिरिडीह के तत्कालीन सांसद रवींद्र पांडेय और वर्तमान सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के नाम का शिलापट्ट नदी के पास दिख जायेगा. गुरुवार को राज्य के मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने भूमि पूजन किया. ग्रामीण हर बार आशान्वित हुए. योगेंद्र प्रसाद द्वारा भूमि पूजन किये जाने से उनमें आशा जगी है कि सालों की उनकी मांग जल्द पूरी हो जायेगी. हालांकि पिछला रिकॉर्ड देखकर ग्रामीण अब भी सशंकित हैं.
ग्रामीण विकास (ग्रामीण कार्य मामले) विभाग को करना है निर्माण
बताते चलें कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ग्रामीण विकास (ग्रामीण कार्य मामले) विभाग गवई नदी पर पुल का निर्माण करनेवाला है. 12 नवंबर 2017 को पुल का शिलान्यास तत्कालीन सांसद रवींद्र कुमार पांडेय ने किया था. कार्यक्रम में तत्कालीन विधायक योगेश्वर प्रसाद महतो भी मौजूद थे. कहा जाता है कि पैसे के अभाव में निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका. ग्रामीण बताते हैं कि बजटीय प्रावधान कम होने के कारण केवल 2.45 किमी सड़क ही बनी. पुल का काम नहीं हुआ. सात अक्तूबर 2024 को गिरिडीह सांसद सीपी चौधरी ने बेरमो विधायक कुमार जयमंगल व पूर्व विधायक लंबोदर महतो की मौजूदगी में शिलान्यास किया था. इधर पांच जून 2025 को झारखंड के मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने पुल का भूमि पूजन किया.
गटीगढ़ा टोला के जर्जर पुल से गुजरते हैं रोरिया गांव के लोग
2017 में पुल का काम बंद होने के बाद ग्रामीणों ने योगेश्वर प्रसाद महतो से गुहार लगायी थी. 12 सितंबर 2022 को बेरमो विधायक कुमार जयमंगल व 18 सितंबर 2022 को गोमिया के तत्कालीन विधायक लंबोदर महतो से गुहार लगायी गयी. हर जगह से सिर्फ आश्वासन मिला. शिलान्यास से आगे कुछ नहीं हुआ. रोरिया से अन्य गांवों तक जाने के लिए कोतोगड़ा गांव के गटीगढ़ा टोला से होकर गुजरना पड़ता है. इन दोनों गांवों के बीच एक नदी है, जिस पर छोटा-सा पुल है. यह पुल जर्जर है. बावजूद ग्रामीण इसी पुल का इस्तेमाल करते हैं. यह पुल गाड़ी लाने के लिए एकमात्र जरिया भी है. पुल के लिए कोई संपर्क पथ नहीं है.
बारिश में तीन माह तक छूट जाती है बच्चों की पढ़ाई
पढ़ाई के लिए मध्य विद्यालय टोडरा (जरीडीड) व उससे आगे की पढ़ाई के लिए कसमार प्रखंड के उवि पिरगल, उवि मुरहूल व उवि हरनाद जाना पड़ता है. इन स्कूलों तक जाने के लिए नदी पार करनी पड़ती है. ठंड व गरमी में बच्चे नदी पार कर जाते हैं, लेकिन बरसात में जलस्तर बढ़ने पर करीब तीन माह तक पढ़ाई छूट जाती है. इतना ही नहीं, किसी के बीमार पड़ने पर डोली या खटिया के सहारे नदी पार करना पड़ता है. यहां तक कि जुलाई से सितंबर तक ग्रामीणों को मवेशी चराने में भी परेशानी होती है. रोरिया गांव से कसमार प्रखंड के नजदीकी गांव कोतोगढ़ा जाने के लिए गवई नदी पार करना पड़ता है. आम दिनों में काम चल जाता है, लेकिन बरसात के दिनों में गांव दूसरी जगह से कट जाता है. बरसात के दिनों में जान आफत में डालकर आना-जाना करना पड़ता है. कारण है कि रोरिया भले ही जरीडीह प्रखंड में पड़ता है, लेकिन यहां की हर जरूरत कसमार प्रखंड के गौराचातर बाजार से पूरी होती है.बोले अधिकारी
ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल, बोकारो के एग्जिक्यूटिव इंजीनियर राजू मरांडी ने कहा कि संवेदक से जानकारी ली गयी है. संवेदक ने बताया है कि ड्रिलिंग का काम शुरू हो गया है. यानी काम शुरू हो गया है. निर्माण कार्य में तेजी लाने के लिए संवेदक को निर्देश दिया गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है