बोकारो, पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के हालात को देखते हुए केंद्र सरकार के निर्देशानुसार देश भर के विभिन्न जिलों में बुधवार को सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित किया गया. इसी कड़ी में जिला प्रशासन के निर्देश पर सरकारी सहित निजीी स्कूलों में विद्यार्थियों को छद्म अभ्यास के माध्यम से युद्ध के हालात में बचाव की व्यवहारिक जानकारी दी गयी.
सिर पर स्कूल बैग रख डेस्क के नीचे छिप गये बच्चे
बोकारो जिले के 800 सरकारी व निजी स्कूलों के बच्चों ने जीवन रक्षक पाठ सीखा. आपात स्थिति में कैसे बिना घबराये खुद की रक्षा व लोगों की मदद की जाय, इसके बारे में बच्चों को बताया गया. उन्हें युद्ध जैसी आपात स्थितियों से निपटने की ग्राउंड ट्रेनिंग दी गयी. मॉक ड्रिल के तहत अचानक स्कूल में सायरन गूंजने लगे, जिसके बाद बच्चे अपनी सिर पर स्कूल बैग रख डेस्क के नीचे छिप गये.पैनिक नहीं करना है, तुरंत डेस्क के नीचे छिपना है, लाइट बंद कर देनी है
बच्चों को सिखाया गया कि कैसे पैनिक नहीं करना है, तुरंत डेस्क के नीचे छिपना है, लाइट बंद कर देनी है, पंखा बंद कर देना है और अगली सूचना तक क्लास रूम में ही रहना है. बच्चों को लाइव डेमो के जरिए सिखाया गया कि अगर एयर स्ट्राइक हो, बिल्डिंग ढह जाय, दीवार गिरे और लोग घायल हो जायें, तो उन्हें कैसे रेस्क्यू करना है. इस मॉक ड्रिल में विद्यार्थियों के साथ-साथ सभी शिक्षक भी शामिल हुए.जय हिंद, वंदे मातरम, भारत माता की जय के लगे नारे
छात्र-छात्राओं ने अपनी कक्षाओं में तिरंगे भी लहराये. जय हिंद, वंदे मातरम के गगनभेदी नारों के साथ भारत माता की जय-जयकार विद्यालय परिसर में गूंजता रहा.बच्चों को जंग जैसी स्थिति के लिए तैयार करना आवश्यक
विभिन्न स्कूलों के प्राचार्यों ने एक स्वर में कहा कि देश का बच्चा-बच्चा अपनी सेना के साथ खड़ा है. ऐसे प्रशिक्षण सिर्फ युद्ध नहीं, बल्कि किसी भी आपदा की स्थिति में नागरिक सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है. शारीरिक व मानसिक रूप से बच्चों को जंग जैसी स्थिति के लिए तैयार करना आवश्यक है. कहा कि पाकिस्तान का नापाक हरकतों के कारण आज देश युद्ध के मुहाने पर खड़ा है. हमारी सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के साथ उन्हें पहलगाम हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया और आगे भी कड़ी सबक सिखायी जायेगी.
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