सीपी सिंह, बोकारो, बोकारो जिले में सिर्फ एक बालू घाट वैध है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की रोक के कारण 15 अक्तूबर तक बालू के उठाव कानूनन संभव नहीं है. अन्य बालू घाट की नीलामी प्रक्रिया अभी कागज पर है. यह कानून की बात है. लेकिन, बोकारो जिले में लोग कानून का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं. बालू का ना सिर्फ अवैध उठाव हो रहा है, बल्कि गुणवत्ता का ख्याल भी रखा जा रहा है. जिले के लगभग सभी प्रखंड में बालू का उठाव खुलेआम हो रहा है, वह भी जिला प्रशासन की परछाई वाले क्षेत्र में.
शुद्धता की गारंटी
बालू के अवैध कारोबार में लगे लोगों को विभाग व पुलिस-प्रशासन का तनिक भी भय नहीं है. ऐसा इसलिए कि बालू के उठाव में शुद्धता की गारंटी दी जा रही है. बालू का कण-कण एक औसत आकार का हो, इसलिए पहले बालू को चालने की भी व्यवस्था स्टॉक यार्ड में की गयी है. कई मजदूर इस काम का करने में लगे हुए हैं. पहले बालू को चाला जाता है, उसके बाद ट्रैक्टर पर लोडिंग की जा रही है.
काम पूरे दिन, लेकिन डिलीवरी अहले सुबह
दामोदर नद के भंडारीडह पुल के पास काम पूरे दिन होता है. दर्जनों लोग बालू उठाव में लगे रहते हैं. इसी तरह बूढ़ीडीह दामोदर नद पुल से भी नजारा देखने को मिल जाता है. खास बात यह कि यहां बालू का अवैध खनन बहुत आराम से किया जाता है. जिले के अन्य क्षेत्र मसलन, सेक्टर क्षेत्र, चास, बालीडीह, फुसरो नगर क्षेत्र में बालू की आपूर्ति रात या अहले सुबह होती है. ग्राहकों तक बालू पहुंचाने का काम अहले सुबह होता है. ऐसा इसलिए ताकि लोगों को इसकी भनक नहीं लगे. जानकार बताते हैं कि सीधे तौर पर पुलिस की नजर में आने के बाद कार्रवाई का दबाव होता है. इस दबाव से बचने के लिए डिलीवरी अहले सुबह की जाती है. बोकारो में वर्तमान में बालू 3200 से 3500 रुपये ट्रैक्टर के दर से बिक रहा है.इन घाटों से हो रहा अवैध उठाव
बोकारो जिले के पेटरवार प्रखंड के चलकरी, तेनुघाट व सुदूरवर्ती गागा ग्राम से सटे गोला प्रखंड के गंधनिया घाट, बेरमो में दामोदर नद के विभिन्न घाट के अलावा चंदनकियारी प्रखंड के अमलाबाद ओपी क्षेत्र में सीतानाला, दामोदर तट व गुडलीभिट्टा गांव के समीप व गवई नदी के विभिन्न घाट से बालू का उठाव हो रहा है. पिंड्राजोरा क्षेत्र में इजरी नदी के साथ बंगाल की कसाई नदी से भी बालू की आपूर्ति हो रही है.प्रति ट्रैक्टर 1700 से 2000 रुपये की हो रही बचत
जानकारों की माने तो बालू का अवैध कारोबार जिला में पिछले कई साल से चल रहा है. वर्तमान में एनजीटी की रोक के कारण बालू की आवक कम हुई है. जबकि डिमांड पर कोई असर नहीं हुआ है. इस कारण अवैध कारोबार ज्यादा फल-फूल रहा है. जानकारों ने बताया कि नदी से बालू उठाव व स्टॉक में प्रति ट्रैक्टर 500 रुपये का अधिकतम खर्च आता है, जबकि डिलीवरी में खर्च 800-1000 रुपये का होता है. जबकि बाजार में बालू प्रति ट्रैक्टर 3200-3500 रुपये मिल रहा है. यानी प्रति ट्रैक्टर 1700 से 2000 रुपये का बचत कारोबारी को रहा है. एक दिन में ऐसे हजारों ट्रैक्टर से बालू की डिलीवरी हो रही है. इससे कारोबार का अंदाज लगाया जा सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है