बोकारो, कैंप दो स्थित सदर अस्पताल में गुरुवार को विश्व थैलेसीमिया दिवस का आयोजन किया गया. उद्घाटन सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अरविंद कुमार, आइसीयू इंचार्ज डॉ सौरव सांख्यान, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ कामख्या व डॉ पंकज भूषण ने संयुक्त रूप से किया. डॉ कुमार ने कहा कि थैलेसीमिया आनुवंशिक समस्या है. थैलेसीमिया शरीर में हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया को कठिन जटिल बना देती है. जो रक्त में ऑक्सीजन ले जाने के लिए पर्याप्त प्रोटिन की समस्या पैदा करती है. थैलेसीमिया पीड़ितों को बीमारी माता-पिता से मिलती है.
डॉ सौरव ने कहा कि वर्ष 2025 में थैलेसीमिया दिवस को ‘थैलेसीमिया के लिए एकजुट हों : समुदायों को एकजुट करें, रोगियों को प्राथमिकता दें’ विषय पर मना रहे हैं. लोगों को जागरूक होने की जरूरत है.समय पर उपचार करें शुरू
डॉ कामाख्या व डॉ पंकज ने कहा कि थैलेसीमिया के दो मुख्य प्रकार हैं. अल्फा थैलेसीमिया व बीटा थैलेसीमिया. थैलेसीमिया के लक्षणों में थकान, कमजोरी, चेहरे व हाथ-पैर में सूजन के अलावा तिल्ली का बढ़ना शामिल हो सकता है. थैलेसीमिया का इलाज व्यक्तिगत रूप से किया जाता है. यह व्यक्ति की स्थिति पर निर्भर करता है. पीड़ित एक स्वस्थ जीवन जी सकता है. यदि समय पर उचित उपचार शुरू कर दिया जाये. परेशानियों को दूर करने के लिए रक्त चढ़ाना, आयरन केलेशन थेरेपी, फोलिक एसिड की खुराक, बोनमैरो या स्टेम सेल प्रत्यारोपण प्रमुख उपाय है. मौके पर चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है