बोकारो, डीएवी सेक्टर चार में गत दिनाें आयोजित तीन दिवसीय क्षमता संवर्धन कार्यशाला शिक्षकों व शैक्षणिक प्रक्रिया को प्रभावशाली, रुचिकर, उपयोगी और बच्चों के बोध ज्ञान को बढ़ा गया. इससे डीएवी जोन ‘जे’ व ‘बी’ के छह विद्यालयों के लगभग 350 शिक्षक लाभान्वित हुए. उद्घाटन में विनोबा भावे यूनिवर्सिटी हजारीबाग के वाइस चांसलर चंद्र भूषण शर्मा ने एनइपी-2020 से शिक्षकों को विस्तार से अवगत कराया. वहीं, समापन में चिन्मय विद्यालय बोकारो के प्राचार्य व सीबीएसइ के सिटी को-ऑर्डिनेटर सूरज शर्मा ने प्रशिक्षण के अनुभवों को शिक्षकों के साथ साझा किया. शिक्षा के विभिन्न स्तरों प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च स्तरीय श्रेणी के विभिन्न विषयों पर कार्यशाला आयोजित थी.
क्षमता संवर्धन कार्यशाला से शैक्षणिक प्रक्रिया में आने वाली कठिनाइयों का निवारण
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो डॉ चंद्र भूषण शर्मा ने कहा कि इस तरह के कार्यशाला के आयोजन से शिक्षक अपनी शैक्षणिक गुणवत्ता का अभिवर्धन करते हैं, जो कि बच्चों के मनोवैज्ञानिक पहलुओं को समझने, उन्हें सहज वातावरण प्रदान करने व उनके मनोभावों की अभिव्यक्ति में सहायक होता है. शिक्षक आपसी अनुभवों, विचारों और शिक्षण की विभिन्न प्रयोगात्मक पद्धतियों को साझा करते हैं, जिससे शैक्षणिक प्रक्रिया में आने वाली कठिनाइयों का निवारण होता है. एनइपी-2020 के एक सक्रिय सदस्य के रूप में अपनी सेवा प्रदान करने के कारण उन्होंने शिक्षा नीति की अपरिहार्यता पर बल देते हुए कहा कि प्रत्येक शिक्षक को इस पॉलिसी के प्रथम 32 पृष्ठों को अवश्य पढ़ाना चाहिए, ताकि वे पॉलिसी के बुनियादी बातों को अच्छी तरह आत्मसात कर उसे प्रभावशाली ढंग से अपनी कार्य प्रणाली में लागू कर सकें.
इन्हाेंने भी किया मार्गदर्शन
सीबीएसइ, एनसीइआरटी और यूनेस्को के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित वर्कशाप का हिस्सा रह चुके समापन समारोह के मुख्य अतिथि सूरज शर्मा ने अपने प्रशिक्षण के अनुभवों को साझा किया. वहीं एमके सिन्हा प्रिंसिपल डीएवी कपिल देव व ट्रेनिंग को- ऑर्डिनेटर झारखंड जोन ””बी”” ने ऑनलाइन अपने अनुभव व कार्यशैली द्वारा शिक्षकों का मार्गदर्शन किया. विद्यालय के प्राचार्य एसके मिश्रा ने कहा कि सीबीएसइ के निर्धारित दिशा-निर्देशों को आधार मानकर कार्यशालाओं की रूपरेखा तैयार की गयी थी. एकमात्र प्रयोजन शिक्षण प्रक्रिया को सुदृढ़, प्रभावशाली और रुचिकर बनाना था. शिक्षकों का समागम शिक्षक प्रणाली को समृद्ध व उपयोगी बनाने में लाभकारी साबित हुआ.
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