Bokaro News : विस्थापित समिति ने अपने 23 सूत्री मांगों को लेकर गुरुवार को सीसीएल बीएंडके एरिया के खासमहल कोनार परियोजना का कामकाज लगभग सात घंटे तक बाधित रखा. सुबह छह से ही बंद समर्थक कार्यस्थल में पहुंच गये और विभागीय तथा आउटसोर्सिंग कार्य को ठप करा दिया. इसके बाद सभी भारी वाहन खड़े हो गये. विस्थापित ग्रामीण मांगों पर प्रबंधन द्वारा सकारात्मक पहल नहीं करने का आरोप लगा रहे थे. परियोजना कार्यालय में पीओ सत्येंद्र कुमार सिंह, मैनेजर सुमेधानंदन, क्षेत्रीय मैनेजर पर्सनल पीएन सिंह, कार्मिक प्रबंधक रमेश कुमार, गांधीनगर थाना प्रभारी पिंटू महथा के अलावा विस्थापित प्रतिनिधियों के साथ लगभग दो दौर की वार्ता हुई. इसके बाद प्रबंधन की ओर से आश्वस्त किया गया कि जो स्थानीय स्तर के मामले हैं, उनका निष्पादन जल्द किया जायेगा. वहीं क्षेत्रीय स्तर के मामले को लेकर भी जल्द पहल की जायेगी. मांगों पर पहल के लिए 15 दिनों का समय भी प्रबंधन ने लिया. इसके बाद लगभग एक बजे कामकाज शुरू हो पाया.
बगल में माइंस होने से गांवों में पेयजल संकट गहराया :
विस्थापितों का कहना था की माइंस से सटे गांवों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. यहां गंभीर पेयजल संकट है. माइंस बगल में रहने के कारण सभी डीप बोरिंग, कुएं आदि सूख गये हैं, गांव जाने की सड़क जर्जर है, स्कूल बस की समुचित व्यवस्था नहीं रहने से गांव के बच्चों को स्कूल जाने में परेशानी हो रही है, बरवाबेड़ा से फेस टू जाने के लिए अस्थायी मार्ग में मरम्मत की जरूरत है, ब्लास्टिंग के कारण घरों में दरारें पड़ रही हैं. ग्रामीणों द्वारा आंदोलन करने पर प्रबंधन द्वारा मुकदमा कर दिया जाता है. मौके पर विस्थापित नेता विकास कुमार सिंह, समिति के संरक्षक गुलाम जिलानी, रिजवान, जुबैर, जफर अली उर्फ मुंशी, जिब्राइल, मंटू, सफीउल्लाह, इनाम, बिट्टू, राजा बाबू उर्फ साबिर, मो मारूफ, रोशन महतो, टेकलाल महतो, मो शमी, नौशाद, मो साजिद, इसरार अहमद, रजाउल्लाह, मुस्तफा, जहांगीर सहित कई ग्रामीण उपस्थित थे.नो वर्क-नो पे के नोटिस पर भड़के कामगार
विस्थापित समिति के आंदोलन के कारण प्रथम पाली का कामकाज ठप रहने के कारण लगभग 12 बजे प्रबंधन की ओर से ‘नो वर्क नो पे’ का नोटिस लगाया गया, इसके बाद कामगार भड़क गये. जनता मजदूर संघ के क्षेत्रीय सचिव टीनू सिंह विस्थापितों के साथ चल रही वार्ता के बीच में ही कार्यालय पहुंचे और अधिकारियों पर भड़क उठे. कहा कि मजदूर काम करने के लिए बैठे हुए हैं. अब कार्य लेना तथा सुरक्षा प्रदान करना प्रबंधन की जिम्मेदारी है. ऐसे में कामगारों की क्या गलती है कि प्रबंधन द्वारा नो वर्क-नो पे का नोटिस लगाया जा रहा है. कहा कि अगर इस तरह की कार्रवाई होती है तो इसका कामगार पुरजोर विरोध करेंगे. पीओ सत्येंद्र कुमार सिंह ने कहा कि कार्य नहीं होंगे तो प्रबंधन क्या करेगा. उच्च प्रबंधन का भी दबाव रहता है फिर भी इस मामले को देखा जायेगा. कहा कि किसी भी समस्या का समाधान बातचीत से भी हो सकता है. बार-बार इस तरह से काम बंद करने से जहां कंपनी को नुकसान होता है, वहीं राष्ट्रीय संपत्ति का भी नुकसान होता है. इसलिए जो भी बातें हो वह कार्यालय में आकर रखें, उसका समाधान करने का प्रयास किया जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है