Bokaro News :
राकेश वर्मा, बेरमो :
अगस्त 2017 से बंद पडी डीवीसी बेरमो माइंस को फिर से डीवीसी खुद चलायेगी. जून 2024 में डीवीसी बोर्ड में माइंस को खुद चलाने का निर्णय लेने के बाद डीवीसी ने माइन प्लान बनाने के लिए कोलकाता की यूनाइडेट एक्सप्लोरेशन इंडिया प्रालि कंपनी को हायर किया है. माइन प्लान बनने के बाद इसे कोयला मंत्रालय,भारत सरकार के पास सबमीट किया जायेगा. कोयला मंत्रालय से अनुमोदन मिलने के बाद इस माइंस को डीवीसी एमडीओ (माइन डेवलपर कम ऑपरेटर) मोड पर चलायेगी. इस माइंस से सालाना 2.5 मिलियन टन (25 लाख टन) कोयला खनन आगामी 29 साल तक किये जाने की योजना है.पहले फेज में 61 मिलियन टन कोयले का होगा खनन
पहले फेज के लिए जो माइन प्लान बन रहा है वह करीब 61 मिलियन टन कोयला खनन के लिए है. ऐसे पूरे बेरमो माइंस में 130.754 मिलियन टन कोयले का भंडार है. इधर माइन प्लान के बाद माइंस का लीज एक्सटेंशन के लिए भी झारखंड सरकार को पत्राचार किया जा रहा है. डीवीसी के अधिकारियों के अनुसार भारत सरकार का 2021 का जो गजट आया है उसमें अब किसी भी माइंस के लिए लीज की अवधि 50 साल तक के लिए कर दी गयी है तथा 31 मार्च 2030 तक या फिर इसके बाद भी माइंस चलाने की अनुमति लेने में अब कोई परेशानी नहीं होगी.मालूम हो कि वर्ष 1951 के पहले डीवीसी बेरमो माइंस रेलवे की थी और सीसीएल के करगली कोलियरी के अधीन संचालित थी. करगली कोलियरी का तीन हजार एकड़ लीज होल्ड एरिया था. तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसमें से 413 एकड़ जमीन डीवीसी को माइंस चलाने के लिए 35 साल के लिए लीज पर दी थी. 31 दिसंबर 1986 को लीज अवधि खत्म होने के बाद तत्कालीन बिहार सरकार ने डीवीसी को पुन: 30 साल का लीज दिया. यह लीज अवधि 31 दिसंबर 2015 को समाप्त हो गयी. वर्ष 2014 में डीवीसी ने झारखंड सरकार को 20 साल के लिए लीज की मांग को लेकर माइन प्लान तथा इनवायरमेंटल क्लीयरेंस के साथ आवेदन दिया था.
अगस्त 2017 से ठप है कोयला उत्पादन
डीवीसी बेरमो माइंस से कोयला उत्पादन तथा रेजिंग अगस्त 2017 से पूरी तरह ठप है. 2016 से ओबी निस्तारण का कार्य बंद है. माइंस के कोल यार्ड में वर्ष 2017 से वाशरी ग्रेड चार का 60 हजार टन तथा माइंस के फेस में लगभग दो लाख टन कोयला एक्सपोज पड़ा है. ऐसे माइंस प्रबंधन करीब सात लाख टन एक्सपोज कोल होने की बात कहते है. काफी कोयला पानी से भरा हुआ है. जानकारी के अनुसार माइंस के ऊपर सीम में आठ लाख टन कोयला है. नीचे कारो सीम में लगभग 120 मिलियन टन वाशरी ग्रेड चार का कोल रिजर्व है. डीवीसी ने वर्ष 1951 में इस माइंस को चालू किया था. सोच थी कि डीवीसी के बोकारो थर्मल पावर प्लांट को इसी माइंस से कोयला आपूर्ति की जायेगी. बोकारो थर्मल के पुराने ए प्लांट के बंद होने के पूर्व तक इसी माइंस से रोपवे के माध्यम से कोयला की आपूर्ति की जाती थी. डीवीसी बेरमो माइंस डीवीसी की एकमात्र कैप्टिव कोल माइंस है जो करीब सात दशक पुरानी है. दिल्ली में एक मई 2018 को उर्जा मंत्रालय व कोयला मंत्रालय के बीच करार हुआ था, जिसके तहत इस माइंस को कोल इंडिया को देने का निर्णय लिया गया था. बाद में उर्जा मंत्रालय की ओर से इस माइंस को खुद फिर से चलाने की बात कही गयी. लेकिन 13 अक्टूबर 2019 को विधिवत रूप से डीवीसी ने कोल इंडिया की कंपनी सीसीएल को इस माइंस को हस्तांतरित कर दिया. लेकिन चार साल बाद भी सीसीएल ने यहां से उत्पादन शुरू नहीं किया. दिसंबर 2021 में हुई डीवीसी बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया गया था कि अब इस माइंस को सीसीएल ही चलायेगी. डीवीसी का कहना था कि माइंस की पूरी प्रोपर्टी डीवीसी की रहेगी, सीसीएल के जिम्मे सिर्फ माइनिंग रहेगी, लेकिन अब पूर्ण रूप से यह माइंस सीसीएल को दे दी जायेगी. लेकिन फिर से डीवीसी बोर्ड ने इस माइंस को खुद चलाने का निर्णय लिया है.
मंत्रालय से अनुमोदन मिलते ही चालू होगा खनन : डीजीएम
इस संबंध डीवीसी बेरमो माइंस के डीजीएम (माइनिंग) मनीष कुमार ने कहा : बेरमो माइंस को एमडीओ मोड पर चलाया जायेगा. माइन प्लान के लिए कोलकाता की एक कंपनी को हायर किया गया है. माइन प्लान बनाने के बाद कोयला मंत्रालय में सबमीट होगा. वहां एप्रुवल मिलने के बाद एमडीओ मोड में कोयला खनन शुरू होगा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है