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Bokaro News : 20 मई की देशव्यापी हड़ताल को लेकर तैयारी जाेरों पर

Bokaro News : 20 मई को आहूत देशव्यापी औद्योगिक हड़ताल की तैयारी को लेकर श्रमिक संगठनों ने ताकत झोंक दी है.

बेरमो, 20 मई को आहूत देशव्यापी औद्योगिक हड़ताल की तैयारी को लेकर श्रमिक संगठनों ने ताकत झोंक दी है. प्राइवेट व पब्लिक सेक्टर के मजदूरों से हड़ताल को सफल बनाने की अपील की जा रही है. जगह-जगह पिट मिटिंग, आम सभा, ज्वाइंट कन्वेंशन, पोस्टरिंग व जनसंपर्क के माध्यम से हड़ताल की महत्ता से अवगत कराया जा रहा है. इधर, अभी तक सरकार की ओर से हड़ताल को रोकने के लिए वार्ता की पेशकश नहीं की गयी है. हड़ताल की तैयारी को लेकर पांच मई को रांची स्थित सीएमपीडीआइ के सभागार में देश के केंद्रीय मजदूर संगठनों का कन्वेंशन होगा. इसमें कोल इंडिया की विभिन्न कंपनियों से मजदूर संगठनों के करीब 500 डेलिगेट शिरकत करेंगे. इस कन्वेंशन में हड़ताल को लेकर रणनीति बनायी जायेगी. मालूम हो कि इसके पूर्व 16 फरवरी 2024 को देशव्यापी हड़ताल की गयी थी.

बीएमएस को छोड़ 11 यूनियनें हैं हड़ताल में शामिल

20 मई की हड़ताल में राष्ट्रीय स्तर की 12 मजदूर संगठनों में से भामसं को छोड़ कर अन्य 11 शामिल हैं. इसमें इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एक्टू, एलपीएफ, एआइसीसीटीयू, सेवा, यूटीयूसी, टीयूसीसी, पीयूसीसी हैं. इसके अलावा राज्य स्तर पर क्षेत्रीय व स्वतंत्र यूनियनों ने भी इस हड़ताल को समर्थन दिया है. हड़ताल का असर कोयला, बिजली, रेल, सेल, भेल, स्टील, सीमेंट जैसे उद्योगों के अलावा बैंक, बंदरगाह, इंश्योरेंस सहित कई छोटे-बड़े उद्योगों पर पड़ेगा, हर उद्योग का अपना-अपना एजेंडा है. हड़ताल में पूरे देश के कांट्रेक्टर्स व ट्रांसपोर्ट वर्कर्स भी शामिल रहेंगे.

18 मार्च को हुआ था हड़ताल करने का निर्णय

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र क्षेत्रीय राष्ट्रीय फेडरेशनों/ एसोसिएशनों के संयुक्त मंच के आह्वान पर 18 मार्च 2025 को नयी दिल्ली के प्यारेलाल भवन में राष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन आयोजित हुआ था. इसमें देश भर से आये लगभग 3000 मजदूरों व मजदूर प्रतिनिधियों ने भाग लिया था. सम्मेलन में 20 मई को राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल करने का निर्णय लिया गया था. इसे सफल बनाने के लिए कई कार्यक्रम भी तय किये गये थे. इसमें मार्च से अप्रैल के बीच राज्य, जिला व क्षेत्रीय सम्मेलन का आयोजन करने, श्रम संहिताओं के क्रियान्वयन की घोषणा के अगले दिन ही प्रतिरोध तथा अवज्ञा के रूप में विरोध कार्यवाहियों का आयोजन करने, तीन मई 2025 से पहले संबंधित यूनियनों द्वारा महासंघों के माध्यम से क्षेत्रवार उद्योग में नोटिस देने की बातें शामिल थी.

कोल इंडिया को एक दिन की हड़ताल से दो हजार करोड़ रुपये का होगा नुकसान

एक दिन की हड़ताल से कोयला उद्योग को दो हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा. एक दिन में कोल इंडिया में लगभग 20-25 लाख टन तथा सीसीएल में ढाई से तीन लाख टन कोयला उत्पादन प्रभावित होगा.

क्या हैं केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की मांगें

यूनियनों की मांग है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण का प्रस्ताव वापस हो, चार श्रम कोड को वापस लिया जाये, न्यूनतम वेतन तय किया जाये, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए 26,000 रुपया मासिक वेतन हो, किसानों की उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान, मनरेगा में 200 दिन काम व रोजाना 600 रुपये मजदूरी मिले, शिक्षा व चिकित्सा क्षेत्र में निजीकरण नहीं हो, पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाये. कोयला उद्योग से जुड़ी कई मांगें भी हैं. इसमें आठ लाख सीपीआरएमएस को बढ़ा कर 25 लाख करने, बंद मेडिकल अनफिट चालू करने, आरआर एक्ट 2013 के तहत विस्थापितों को नौकरी व मुआवजा देने, ठेका मजदूरों के लिए हाइ पावर कमेटी की अनुशंसा लागू करने, कोलवीर बहाली पर रोक, शर्तों के आधार पर बहाली पर रोक, एमडीओ व रेवेन्यू शेयरिंग पर कोयला खदान दिये जाने पर रोक आदि मुख्य हैं.

1992 से शुरू हुआ था राष्ट्रव्यापी हड़ताल का दौर

देश में राष्ट्रव्यापी हड़ताल का दौर वर्ष 1992 से शुरू हुआ था. अभी तक मजदूर संगठनों ने लगभग तीन दर्जन बार देशव्यापी हड़ताल की है. इसके अलावा पूर्व में मजदूर संगठनों ने प्रतिवाद स्वरूप जेल भरो व सत्याग्रह आंदोलन के तहत देश भर में अपनी गिरफ्तारी दी. रेल रोको-रास्ता रोको आंदोलन किया. संसद के समक्ष तीन बार धरना-प्रदर्शन किया. अभी तक देशव्यापी हड़ताल अधिकतम तीन दिनों तक चली है.

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