नागेश्वर, ललपनिया, गोमिया प्रखंड की पचमो पंचायत के आदिवासी बहुल सिमराबेड़ा गांव में पहली किसी आदिवासी बेटी ने मैट्रिक की परीक्षा पास की है. इस वर्ष यह इतिहास चांदमुनी ने रचा. गांव की बिटिया की इस उपलब्धि पर परिजन के साथ-साथ आमलोग भी काफी खुश हैं. मंगलवार को सिमराबेड़ा के सामाजिक कार्यकर्ता मनोज कुमार पहाड़िया और आंगनबाड़ी केंद्र की सहायिका अनिता कुमारी ने चांदमुनी को शॉल ओढ़ा व माला पहना कर उसे सम्मानित किया, तो उसकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े. चांदमुनी के पिता अरजलाल किस्कू प्रवासी मजदूर हैं. वह महाराष्ट्र के बेलापुर में राजमिस्त्री का काम करते हैं. वहीं मां संगीता देवी गृहिणी हैं. चांदमुनी ने कहा कि वह शिक्षिका बन कर क्षेत्र के बच्चों को पढ़ाना और शैक्षणिक पिछड़ापन दूर करना चाहती है.
शिक्षिका बनना है चांदमुनी का सपना
मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने कहा : चांदमुनी की पढ़ाई में करेंगे मदद चांदमुनी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सिमराबेड़ा प्राथमिक विद्यालय में ग्रहण की. उसने छठी की पढ़ाई झुमरा पहाड़ मध्य विद्यालय (अब उत्क्रमित हाइस्कूल) से की. चांदमुनी ने तेनुघाट गोमिया के कस्तूरबा विद्यालय में सातवीं में नामांकन कराया और इस वर्ष मैट्रिक परीक्षा यहीं से पास की. गोमिया बीडीओ महादेव कुमार महतो ने आदिवासी बिटिया की सफलता पर कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में चांदमुनी को सम्मानित किया जायेगा. वहीं हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि चांदमुनी से बहुत जल्द मिलकर उन्हें और उनके माता-पिता को सम्मानित किया जायेगा. साथ ही, आगे की पढ़ाई में सहयोग किया जायेगा. चांदमुनी ने तेनुघाट गोमिया के कस्तूरबा विद्यालय में ही 11वीं में नामांकन लिया है.
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