ललपनिया, भाकपा माले और आदिवासी संघर्ष मोर्चा के नेताओं की फैक्ट फाइंडिंग टीम रविवार को गोमिया प्रखंड के बिरहोरडेरा नक्सली मुठभेड़ स्थल पहुंची. जहां मुठभेड़ में मारे गए नक्सली कुंवर मांझी के परिजनों और दर्जनों ग्रामीणों से मिलकर घटना की जानकारी ली. जांच टीम के अनुसार नक्सली कुंवर मांझी की पत्नी सुशांति सोरेन, मां बड़की देवी ने टीम को बताया कि कुंवर नक्सली गतिविधियों से दूर रहकर आम आदमी की तरह जीना चाहता था. घटना की रात भी घर से निकलने के पहले भी अपनी पत्नी से कहा था कि हम दो दिनों के भीतर सरेंडर करेगें. यह कहकर घर से निकला और सुबह 9 बजे उनके गोली लगने की सूचना मिली. उनके सरेंडर करने की भनक नक्सली कुंवर मांझी के भी करीबियों को थी. यही कारण है कि उनके घर में आने की गुप्त सूचना पुलिस को दी गई. उनकी मां ने भी कुंवर से कहा था कि इस तरह घर परिवार को छोड़ के बाहर रहना ठीक नहीं है. कुंवर ने अपनी मां से भी कहा था कि हम जल्दी सरेंडर करेंगे सब कुछ ठीक हो जाएगा चिंता करने की जरूरत नहीं है. उनके छोटे भाई कामेश्वर सोरेन कहा कि वह कम समय के लिए घर आता था हालचाल पूछने के बाद चला जाता था. ऑपरेशन में शामिल जवान चाहते तो उन्हें जिंदा पकड़कर और भी ठिकाने और रहस्यों के खुलासे हो सकते थे. दर्जनों ग्रामीणों ने सवाल किया कि नक्सली तो और भी जाति समाज से हैं पर आदिवासी ही क्यों मारे जाते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि हाल के कई वर्षों से कुंवर मांझी नक्सली गतिविधि से दूर रहने की कोशिश में था जिसके कारण ही इस क्षेत्र में कोई नक्सली घटना नहीं हुआ है. फैक्ट फाइंडिंग टीम ने झारखंड सरकार को पत्र लिख कर घटना की न्यायिक जांच करने और निर्दोष व्यक्ति को उचित मुआवजा देने की मांग करेगी. जांच दल ने पाया कि कुंवर टूटा हुआ प्लास्टिक से छारा हुआ घर में रहता था. अभी इसी साल एक पीएम हाउस मिला है जो अधूरा है.
कौन-कौन थे टीम में
भाकपा माले की फैक्ट फाइंडिंग टीम में आदिवासी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष देवकीनंदन विद्या, माले जिला सचिव देव देव सिंह दिवाकर, मजदूर नेता विकास कुमार सिंह, राज्य कमिटी सदस्य भुवनेश्वर केवट, गोमिया प्रखंड सचिव सुरेन्द्र यादव, अल्का मिश्रा, आदिवासी मोर्चा के नेता लाली बेदिया, जगलाल सोरेन, भीम रजक, एस डी प्रसाद, राजेश किस्कू, भाकपा माले गोमिया के प्रखंड सचिव सुरेंद्र यादव मुख्य रूप से शामिल थे.
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