बेरमो, बेरमो में कई प्राचीन शिवालय हैं, जिनके प्रति श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी है. सावन माह में हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ पूजा के लिए जुटती है, लेकिन सावन की हर सोमवारी में ज्यादा भीड़ उमड़ती है. कई शिवालयों में सावन के हर सोमवार को भजन-कीर्तन समेत अन्य अनुष्ठान भी किये जाते हैं. फुसरो शहरी क्षेत्र में दर्जन से अधिक शिव मंदिर हैं. इसमें भूतबंगला हनुमान मंदिर, नया रोड फुसरो, पुराना बीडीओ ऑफिस, ब्लॉक कॉलोनी, ढोरी बस्ती इंद्रपुरा धाम, ढोरी बस्ती गणेश मंदिर, करगली गेट, करगली बाजार, सुभाषनगर, जवाहर नगर, रामनगर, बेरमो सीम, अमलो बस्ती, मकोली, सेंट्रल कॉलोनी, घुटियाटांड़, कदमाडीह, रेहवाघाट, बालू बैंकर, सिंगारबेडा, पटेलनगर, भेड़मुक्का, शांतिनगर, सिंहनगर, कल्याणी, कारीपानी आदि जगहों के शिव मंदिर इसमें शामिल हैं.
200 साल पुराना है गोमिया मोड़ का प्राचीन शिव मंदिर
गोमिया मोड़ में भीखा अहरा तालाब के पास स्थित प्राचीन शिव मंदिर 200 साल पुराना है. बाद में मंदिर का सौंदर्यीकरण कराया गया. शिवरात्रि में यहां से शिव बारात की झांकी निकाली जाती है.
1986 को हुई थी नागेश्वरनाथ पंच मंदिर की स्थापना
कुरपनिया स्थित बाबा नागेश्वरनाथ पंच मंदिर की स्थापना 24 मार्च 1986 को हुई थी. इसमें श्रमिक नेता रामाधार सिंह समेत अन्य लोगों व सीसीएल अधिकारियों ने अहम योगदान दिया था. जरीडीह बाजार में दामोदर नदी के तट पर स्थित दामोदर नाथ मंदिर की स्थापना आजादी के पूर्व हुई थी. बाद में जीर्णोद्धार किया गया.महाभारत काल से जुड़ा है झारखंडधाम
प्रसिद्ध तीर्थ स्थल झारखंडधाम के प्रति भी श्रद्धालुओं की आस्था देखते बनती है. इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है. बताया जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव झारखंडीनाथ के पास जंगल में छिपे थे.चंद्रपुरा का सबसे पुराना शिवालय है चंदेश्वरनाथ शिव मंदिर
चंदेश्वरनाथ शिव मंदिर चंद्रपुरा क्षेत्र का सबसे पुराना शिवालय है. वर्ष 1962 में इसका निर्माण डीवीसी में नौकरी करने आये और कॉलोनी में रह रहे लोगों ने कराया था. आसपास के ग्रामीणों ने भी मदद की थी. भूरसाबाद के सोमर मांझी व सुकू मांझी ने इस मंदिर के निर्माण के लिए अपनी जमीन दान में दी थी. समय के साथ मंदिर का सौंदर्यीकरण भी हुआ.
ललपनिया में है नागेश्वर महादेव मंदिर
ललपनिया स्थित नागेश्वर महादेव मंदिर भी लोगों की आस्था का केंद्र है. होसिर जाने वाले जीरो प्वाइंट के समीप लुगू मंदिर के अलावा बड़कीपुन्नू, खंखडा, महुआटांड़, कंडेर, धवैया, तिलैया के शिवालयों में भी सावन माह में भक्तों की भीड़ लगी रहती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है