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Bokaro News : फंड नहीं मिलने से जरीडीह बाजार ग्रामीण पुनर्गठन जलापूर्ति योजना का काम ठप

Bokaro News : इस गरमी में भी दो पंचायतों के हजारों लोगों को झेलना होगा जल संकट

Bokaro News : राकेश वर्मा, बेरमो. बेरमो प्रखंड के जरीडीह पूर्वी और जरीडीह पश्चिमी पंचायत के लिए स्वीकृत नयी जरीडीह बाजार ग्रामीण पुनर्गठन जलापूर्ति योजना का लाभ इस साल भी गरमी में लोगों को नहीं मिल पायेगा. फिलहाल इस वर्ष भी गर्मी में पेयजल संकट यहां के लोगों को झेलना पड़ रहा है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, झारखंड सरकार द्वारा 7.83 करोड़ रुपये की इस योजना को स्वीकृति दिये करीब दो साल होने को हैं.

मिली जानकारी के अनुसार पिछले 15 माह से फंड के अभाव में इसका कार्य रुका हुआ है. एक साल तक कार्य ठीक-ठाक चलता रहा, लेकिन पिछले 5-6 माह से निर्माण कार्य पूरी तरह से ठप है. फिलहाल इस योजना के तहत जरीडीह बाजार शहीद पार्क में बड़ा जलमीनार का निर्माण कार्य चल रहा है, जो अभी भी अधूरा है. योजना पूर्ण होने पर दोनों पंचायतों की करीब 30 हजार की आबादी को इस लाभ मिलेगा. इस योजना को पूर्ण करने की अवधि 18 माह थी तथा तीन माह ट्रायल की अवधि निर्धारित की गयी थी. इस योजना के तहत जरीडीह बाजार स्थित पश्चिमी पंचायत में पूर्व से बनी जलापूर्ति योजना का पूर्ण रूप से रिनोवेशन करना है. इसके अलावा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के अलावा कोनार नदी के किनारे नया इंटेकवेल का निर्माण किया जा रहा है. इंटकवेल में अभी ऊपर का ढक्कन, रूम व गेंग-वे का काम बाकी है. वहीं जर्जर पुरानी पाइपलाइन की जगह भी नया पाइपलाइन बिछानी है.

फंड मिलता तो अब तक शुरू हो जाती जलापूर्ति :

इस जलापूर्ति योजना का काम करने वाली कंपनी साई कंस्ट्रक्शन के साइट इंचार्ज रितेश कुमार सिंह का कहना है कि 15 माह से विभाग से फंड नहीं मिला है, जिसके कारण निर्माण कार्य रुका पड़ा है. इंटेक वेल तथा जलमीनार का काम 50 फीसदी से ज्यादा हो गया है. पाइप कुछ जगहों पर बिछायी गयी थी, लेकिन अभी कई स्थानों पर पाइप बिछानी है. योजना में शामिल एक स्थान पर कुछ माह पूर्व पाइप बिछाये जाने का कुछ लोगों ने विरोध कर दिया, जिसके बाद पाइप बिछाने का काम बंद कर दिया गया. कहा कि अगर समय पर फंड मुहैया करा दिया जाता तो अब तक निर्माण कार्य पूर्ण हो जाता.

मेगा जलापूर्ति योजना से अलग कर दिया गया था दोनों पंचायत को :

मालूम हो कि पूर्व में तेनुघाट डैम से बेरमो की 19 पंचायतों के लिए बनी मेगा जलापूर्ति योजना में जरीडीह बाजार की उक्त दोनों पंचायतों को अलग कर दिया गया था. यहां के लोगों ने बेरमो विधायक कुमार जयमंगल से बेरमो बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना से उक्त दोनों पंचायत को जोड़ने की मांग की थी. चूंकि जरीडीह बाजार में पहले से जलापूर्ति योजना की स्कीम शो हो रही थी, इसलिए बेरमो बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना से उक्त दोनों पंचायत को जोड़ने के बजाय अलग से योजना की स्वीकृति विधायक श्री सिंह की पहल पर दी गयी.

2004 में पुरानी योजना का हुआ था शिलान्यास : पुरानी जरीडीह बाजार ग्रामीण पुनर्गठन योजना का शिलान्यास 11 फरवरी 2004 में झारखंड सरकार के तत्कालीन पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मंत्री जलेश्वर महतो ने जरीडीह पश्चिमी पंचायत के जरीडीह बस्ती दुर्गा मंदिर के निकट किया था. इस योजना के तहत बने इंटेक वेल से लेकर जलमीनार तक की स्थिति जर्जर हो चुकी थी. जलमीनार से पेयजलापूर्ति पूरी तरह से ठप थी. इसके बाद जरीडीह बाजार ग्रामीण पुनर्गठन जलापूर्ति योजना लायी गयी.

जलसंकट के कारण सैकड़ों परिवार कर गये पलायन :

जरीडीह बाजार में जलसंकट की समस्या वर्षों पुरानी है. हर विस व लोस चुनाव में जलसंकट यहां चुनावी मुद्दा भी बनता है. अभी तक तीन जलापूर्ति योजना यहां आ चुकी हैं, लेकिन समस्या बरकरार है. कुछ वर्ष पूर्व जलसंकट के कारण गुजराती, मारवाड़ी, सिख व औसवाल समाज के सैकड़ों लोग यहां से चले गये. जानकारी के अनुसार पहले जरीडीह पूर्वी पंचायत के नीचे पट्टी में 1952-53 में दामोदर नदी के किनारे पहला इंटेकवेल बना था. इससे लोगों को सुबह-शाम नियमित पानी मिलता था. यह इंटेक वेल धंस गया, तब से यहां पानी की समस्या गंभीर हो गयी.

युवकों के ग्रुप ने बनायी जुगाड़ तकनीक :

कुछ वर्ष पूर्व यहां के कुछ उत्साही युवकों ने ग्रुप बना कर पानी की समस्या से निबटने का एक तरीका निकाला. 15-20 लोगों ने आपस में जमा कर ढाई से तीन लाख रुपये का बजट बनाया. इससे एक सबमर्सिबल पंप, नदी से बाजार तक के लिए पाइप खरीदी और नदी में छोटा-छोटा कुआंनुमा इंटेकवेल बनाया और इसकी मदद से पानी की व्यवस्था की. आज इस जुगाड़ तकनीक से 70-80 से ज्यादा ग्रुप पानी का जुगाड़ कर रहे हैं. जरीडीह बस्ती से सटे दामोदर नदी व कोनार नदी से भी इस तरह का जुगाड़ कई लोगों ने कर रखा है. इसमें जरीडीह बस्ती के करीब 25-30 घरों ने दामोदर नदी से तथा जरीडीह पश्चिमी पंचायत के लगभग 15 घरों ने कोनार नदी से पानी का कनेक्शन ले रखा है. हालांकि बरसात के दिनों में यह व्यवस्था भी ध्वस्त हो जाती है. नदी में बनाये गये छोटे-छोटे इंटेकवेल में बालू भर जाता है. पाइप बह जाती है. मोटर जल जाता है.

जरीडीह पूर्वी व पश्चिमी पंचायत में 15वें वित्त से बने हैं नौ इंटेकवेल :

तीन साल पहले 15वें वित्त से जरीडीह पूर्वी पंचायत में दामोदर नदी के किनारे ढाई से तीन लाख की लागत से चार छोटे-छोटे इंटेकवेल और 30-35 स्थानों पर स्टैंड पोस्ट बनाये गये, जिससे नियमित रूप से जलापूर्ति की जाती है. इसमें से दो सोलर से तथा दो बिजली से चलता है. वहीं जरीडीह पश्चिमी पंचायत में 15वें वित्त से पांच इंटेकवेल व करीब 35 स्टैंड पोस्ट बना कर जलापूर्ति की जाती है.

गंभीर पहल की जरूरत :

जरीडीह पश्चिमी पंचायत की मुखिया कंचन देवी का कहना है कि फंड के अभाव में जलापूर्ति योजना का काम ठप पड़ा हुआ है. सरकार को इस पर गंभीरता से पहल करनी चाहिए. अगर फंड समय पर मिल जाता तो इस वर्ष गरमी में इस योजना का लाभ दोनों पंचायत को मिलता.

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