बेरमो, बेरमो कोयलांचल में बदलते वक्त के साथ अब कई महिला कर्मी सीसीएल की खदानों में मुश्किल हालात के बीच भारी मशीनें ऑपरेट कर रही हैं़ अब तक ये सब केवल पुरुषों की दुनिया मानी जाती रही है. कुन्नी कुमारी करीब नौ साल से फीडर ब्रेकर मशीन चला रही है. वह पहले अमलो साइडिंग में पिउन थीं. वर्ष 2016 में ढोरी के तत्कालीन जीएम एम कोटेश्वर राव ने मशीन चलाने को प्रेरित किया. धीरे-धीरे सीख गयीं. अब मशीन की तकनीकी खराबी भी दूर कर लेती हैं.
फीडर ब्रेकर मशीन चलाने वाली चरकी कुमारी सात साल से पहले अमलो प्रोजेक्ट में पिउन थीं. कहा कि पहले दिन फीडर ब्रेकर मशीन ऑपरेट करने की जिम्मेदारी मिली थी, तो डर लगा. हालांकि सीखने की ललक थी, जो काम आयी. तुलसी कुमारी पहले अमलो प्रोजेक्ट के 12 नंबर में पिउन थीं. अब सात साल से क्रशर मशीन चला रही हैं. साथी कामगारों को देख उन्हें सीखने की प्रेरणा मिली.गंगा ने कभी मुड़ कर नहीं देखा
गंगा देवी सात साल से मशीन ऑपरेट कर रही हैं. उन्होंने कहा कि पिउन थी. जब मशीन ऑपरेट करने की जिम्मेदारी मिली, तो थोड़ी घबराहट हुई. आगे बढ़ने का जज्बा काम आया. आज आसानी से मशीन ऑपरेट कर रही हूं.सीखने की ललक ने चरकी की हिम्मत बढ़ायी : फीडर ब्रेकर मशीन चलाने वाली चरकी कुमारी सात साल से पहले अमलो प्रोजेक्ट में पिउन थीं. कहा कि पहले दिन फीडर ब्रेकर मशीन ऑपरेट करने की जिम्मेदारी मिली थी, तो डर लगा. हालांकि सीखने की ललक थी, जो काम आयी. पहले डरी, फिरडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है