चाईबासा.
चाईबासा स्थित सर्किट हाउस में बुधवार को गोप-गौड़ आरक्षण आंदोलन समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने मझगांव विधायक निरल पुरती को चार सूत्री मांग पत्र सौंपा. जिला स्तरीय भर्तियों में ओबीसी आरक्षण समाप्त करने की साजिश का आरोप लगाया. प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व समिति के प्रमुख रामहरि गोप ने किया. इस दौरान कैबिनेट मंत्री दीपक बिरुवा, विधायक निरल पुरती, सोनाराम सिंकू, सुखराम उरांव और जगत माझी विशेष रूप से उपस्थित थे. प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट किया कि चाईबासा सहित झारखंड के सात जिलों (चाईबासा, लातेहार, सिमडेगा, खूंटी, दुमका, लोहरदगा और गुमला) में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी की भर्तियों में ओबीसी आरक्षण को शून्य कर दिया गया है. यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15(4), 16(4) और 340 का उल्लंघन है. वहीं, सामाजिक न्याय की भावना पर सीधा प्रहार है. विधायक ने आश्वस्त किया कि समिति की मांगों को गंभीरता से ले रहे हैं. इसे आगामी विधानसभा सत्र में विधेयक के रूप में प्रस्तुत करेंगे.10 तक मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो विस के समक्ष भूख हड़ताल करेंगे
प्रतिनिधिमंडल ने चेतावनी दी कि 10 अगस्त, 2025 तक मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो समिति विधानसभा के समक्ष अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल व राज्यव्यापी जनआंदोलन करेगी. इसकी नैतिक और राजनीतिक जिम्मेदारी सरकार और जनप्रतिनिधियों की होगी. यह लड़ाई सिर्फ आरक्षण की नहीं, बल्कि संवैधानिक अधिकार और सामाजिक न्याय की है. मौके पर समिति पदाधिकारी लाला राउत, अरुण कुमार गोप, अनुज कुमार गोप, अनिल कुमार पान, हरि गोप, कंचन गोप, विजय सिंह बारी, जयंत शंकर गोप, सुमंत कुमार गोप आदि शामिल थे.समिति की चार प्रमुख मांगें
विधानसभा के मॉनसून सत्र (1 अगस्त 2025) में ओबीसी आरक्षण को अनिवार्य करने के लिए विधेयक लाया जाये
जिन जिलों में आरक्षण शून्य किया गया है, वहां तत्काल संशोधन कर प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो.जातीय जनगणना 2011 के आंकड़े सार्वजनिक करने
सभी योजनाओं और सरकारी सेवाओं में जनसंख्या के अनुपात में संवैधानिक हिस्सेदारी सुनिश्चित हो.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है