चाईबासा.
पश्चिमी सिंहभूम के जगन्नाथपुर प्रखंड के बालियाडीह निवासी अर्जुन मुंदुइया वर्ष 2019 में दक्षिण मध्य रेलवे, सिकंदराबाद में प्रिंसिपल चीफ मैकेनिकल इंजीनियर पद से सेवानिवृत्त हुए. सेवानिवृत्ति के बाद अर्जुन ने अपने अनुभव और ज्ञान को समाज सेवा में समर्पित कर दिया. उन्होंने ‘कजि पुड़ुवा’ नाम से हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोश प्रकाशित किया, जो हो भाषा से जुड़े विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रहा है. यह शब्दकोश नयी पीढ़ी को भाषाई समृद्धि प्रदान कर रहा है.2020 से 23 तक हो समाज के अध्यक्ष रहे
वह 2020 से 2023 तक ‘हो समाज महासभा’ के अध्यक्ष भी रहे, जहां उन्होंने हो समाज की संस्कृति, रीति-रिवाज और परंपराओं के संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभायी. भारतीय रेल में अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें पर्यावरण प्रबंधन और यांत्रिकी में उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए ‘दक्षता शील्ड पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया. वर्तमान में अर्जुन ‘कोल्हान का कैंसर: रसि डियङ’ और ‘कोल्हान के हो आदिवासियों की सोच: एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण’ जैसी पुस्तकों के प्रकाशन की तैयारी में हैं. वे चाहते हैं कि समाज नशामुक्त, स्वस्थ और जागरूक बने.
नशा के खिलाफ समाज में फैला रहे जागरुकता
योग को जीवनशैली का अभिन्न अंग मानने वाले अर्जुन प्रतिदिन योग करते हैं और बच्चों को नेतरहाट विद्यालय में प्रवेश के लिए प्रेरित करते हैं. वे अध्ययन सामग्री भी दान करते हैं. साथ ही हड़िया जैसे पेय पदार्थों के बाजारीकरण और उसके दुष्परिणामों के खिलाफ समाज में जागरुकता फैलाने का कार्य भी कर रहे हैं. उन्होंने मैट्रिक और इंटरमीडिएट की शिक्षा नेतरहाट आवासीय विद्यालय से प्रथम श्रेणी में पूर्ण की और उसके बाद भारतीय रेल यांत्रिक एवं विद्युत इंजीनियरिंग संस्थान, जमालपुर से यांत्रिकी इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है