चक्रधरपुरपश्चिम सिंहभूम जिला के बंदगांव प्रखंड अंतर्गत टेबो पंचायत के घने जंगलों में कांडयोंग गांव बसा है. इसमें विलुप्त हो रही जनजाति बिरहोर के 25 परिवार रहते हैं. प्रखंड मुख्यालय से गांव की दूरी अधिक है, इस कारण यहां के लोग सरकारी योजनाओं के लाभ से लगभग वंचित है. साथ ही शिक्षा का भी यहां अभाव है. लोग वन उपज की वस्तुओं को बेचकर या थोड़ी बहुत खेती कर जीवन यापन करते हैं. गांव के सोमचांद बिरहोर की 19 वर्षीय बेटी बसंती बिरहोर ने वर्ष 2021 में जब प्रथम श्रेणी में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की तो गांव में खुशियां मनायी गयी थी. क्योंकि गांव में मैट्रिक पास करने वाला बसंती पहली बालिका थी. इसके बाद बसंती ने 2023 में इंटरमीडिएट परीक्षा भी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुई. बसंती ने मैट्रिक और इंटर की परीक्षा कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय बंदगांव से दी थी. इंटर पास करने के पश्चात बसंती स्नातक की पढ़ाई जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय में कर रही है. बसंती कॉलेज में कला संकाय में इतिहास ऑनर्स लेकर पढ़ाई कर रही है. पढ़ाई के साथ-साथ वह गांव के बच्चों को भी शिक्षित कर रही है.
कई बच्चों का कराया स्कूल में नामांकन
बसंती बिरहोर ने राहुल बिरहोर, सोनू बिररहोर, सोमोल बिरहोर, दीपक बिरहोर, पूनम बिरहोर, सोनाली बिरहोर, प्रकाश बिरहोर, सुधीर बिरहोर, सुखराम बिरहोर को उम्र के अनुसार स्कूल में नामांकन कराया है. साथ ही साथ कॉलेज में क्लास खत्म करने के बाद शाम के वक्त वह सभी बच्चों को शिक्षित करने के लिए नि:शुल्क ट्यूशन अपने घर पर पढ़ाती है.पांच बहनों में सबसे बड़ी है बसंती :
बसंती बिरहोर कांडेयोंग गांव में माता-पिता और पांच बहनों के साथ झोपड़ी नुमा घर में रहती है. बहनों में बसंती सबसे बड़ी है. बसंती से छोटी 17 वर्षीय चंपू बिरहोर कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय बंदगांव में इंटरमीडिएट की पढ़ाई कर रही है. जबकि 12 वर्षीय सुषमा बिरहोर कन्या आश्रम विद्यालय लुंबई में कक्षा 8, दस वर्षीय सुमित बिरहोर कक्षा 4 में पढ़ाई करती है. जबकि चार वर्षीय सुशीला बिरहोर आंगनबाड़ी जाती है. वहीं बसंती की माता पानी बिरहोर गृहिणी है.सरकार से लगायी मदद की गुहार :
बसंती बिरहोर शिक्षिका बन कर समाज उत्थान में योगदान देना चाहती है. वह चाहती है कि उसे सरकार सहयोग करे. उसका सपना है कि उसके गांव के सभी लोग शिक्षित हो. बसंती का मानना है कि शिक्षा से ही समाज में बदलाव व विकास होगा. शिक्षित लोग ही अपने हक के लिए संघर्ष कर सकते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है