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Chaibasa News : शिक्षकों के वेतन व पदनाम में कटौती अन्याय

शिक्षा विभाग के नये फैसले पर झारखंड उर्दू शिक्षक संघ ने जतायी नाराजगी

चक्रधरपुर. झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ ने राज्य सरकार की कैबिनेट बैठक में हुए निर्णय के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. संघ ने सरकार पर शिक्षकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ और शिक्षित बेरोजगारों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया है. संघ के केंद्रीय महासचिव अमीन अहमद ने कहा कि उर्दू सहायक शिक्षकों के पद को सहायक आचार्य में बदलने और वेतनमान में कटौती का निर्णय गलत है. इससे शिक्षकों के आत्मसम्मान और राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर सीधा प्रहार हुआ है. संघ ने उक्त निर्णय को वापस लेने की मांग की है. संघ ने स्पष्ट किया कि जल्द मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से मिलकर इस विषय को गंभीरता से उठाया जाएगा. जरूरत पड़ी, तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जायेगा. उन्होंने कहा कि यह निर्णय शिक्षित युवाओं के साथ धोखा है. अब तक शिक्षकों की नियुक्ति टीजीटी और पीजीटी पदों पर होती थी, जिनका वेतन क्रमशः 4600/- ग्रेड पे व 44,900/- बेसिक, और 4800/- ग्रेड पे व 47,600/- बेसिक था. सरकार अब इन्हीं पदों को समाप्त कर माध्यमिक आचार्य व सहायक आचार्य पद सृजित कर रही है. केंद्रीय विद्यालयों में टीजीटी और पीजीटी पद अस्तित्व में हैं, तो झारखंड में क्यों समाप्त किया जा रहा है. क्या यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के नाम पर शिक्षकों का शोषण की कोशिश नहीं है.

कार्यभार में वृद्धि, सम्मान में गिरावट

नयी नियमावली के तहत एक ही शिक्षक को 9वीं से 12वीं कक्षा तक पढ़ाने की जिम्मेदारी दी जायेगी. इससे शिक्षकों पर अनावश्यक कार्यभार बढ़ेगा. विद्यालयों में प्रधानाध्यापक और प्राचार्य जैसे पदों को मिलाकर प्रधानाचार्य पद बनाया गया है, जिनका वेतन पहले की तुलना में काफी कम निर्धारित किया गया है. पहले इन पदों को क्रमशः 5400/- और 7600/- ग्रेड पे मिलता था, जो अब घटकर सिर्फ 4800/- रह गया है.

3712 रिक्त पदों पर बहाली की मांग

अमीन अहमद ने बताया कि झारखंड को बिहार से विभाजन के समय योजना मद के तहत 4401 उर्दू सहायक शिक्षक मिले थे. 2014-15 में मात्र 689 पदों पर बहाली हो सकी. संघ के प्रयासों से 2023 में विभागीय संकल्प संख्या 259 (दिनांक 24/02/2023) के तहत शेष पदों को गैर योजना मद में स्थानांतरित कर दिया गया. अबतक शेष 3712 पदों पर बहाली नहीं हो सकी है.

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