जैंतगढ़. जैंतगढ़ में आजतक बिजली व्यवस्था नहीं सुधरी है. जैंतगढ़ के ग्रामीणों को मात्र चार से छह घंटे बिजली मिल रही है. झूलते तार, पंक्चर डिस्क, जर्जर खंबे, टूटे तार, जगह-जगह फॉल्ट, 11 हजार का तार भी बांस के खंभों के सहारे खींचे गये हैं. जैंतगढ़ में तीन मेगावाट बिजली की जरूरत है, मिल रही सिर्फ डेढ़ से दो मेगावाट बिजली. जगह-जगह तार पेड़ की टहनियों से उलझते रहता है. कम बिजली मिलने से उपभोक्ताओं में आक्रोश है.
हल्की हवा चलने पर कट जाती है बिजली
जैंतगढ़ व आसपास में मुश्किल से चार से 6 घंटे बिजली रहती है. शाम होते ही बिजली कट जाती है. पावर कम होने के नाम पर एक-एक घंटे में बिजली काट दी जा रही है. हल्की बारिश में रातभर बिजली काट दी जाती है. रोज कहीं न कहीं फॉल्ट रहता है. समाजसेवी शंभू गुप्ता ने कहा गोरियादुबा से लखीपाई तक अभी तक तार नहीं बदले गये हैं. कई स्थानों पर तार की ऊंचाई बहुत कम है।
क्या कहते हैं लोग
कई जगहों पर खासकर पोकाम, छनपदा, पट्टाजैंत में 11 हजार वोल्ट के तार बांस के खंभों के सहारे खींचे गये हैं. कई स्थानों पर 11 हजार और 440 वोल्ट के तार एक ही जगह उलझे हैं.-सत्यपाल बेहरा, भाजपा
जब से बिजली आयी है, तबसे तार नहीं बदला गया है. तार 50 वर्ष पुराने हैं. जैतगढ़ से मासाबिला तक 10 किलोमीटर में तारों में लगभग 500 टांके हैं. इसे तुरंत बदलने की जरूरत है.– जमादार लागुरी, समाजसेवी
दुर्घटना के बाद भी विभाग नहीं चेता. दर्जनों पशुओं की मौत के साथ विगत 5 वर्षों में 3 लोगों की मौत बिजली के तार की चपेट में आने से हुई है. फिर भी विभाग नहीं चेता है.
-संदेश सरदार, झामुमो
जोरदार आंदोलन होगा. यही विकल्प बचा है. अब जनता सड़क पर उतरेगी. विभाग और फ्रेंचाइजी का काम सिर्फ बिजली बिल वसूलना रह गया है. विभाग व्यवस्था में सुधार करे –दास महाराणा, समाजसेवी
तार जर्जर रहने के कारण रोज कहीं न कहीं गिर रहा है. हमें शट डाउन लेकर काम करना पड़ता है. हमें तीन मेगावाट बिजली की जरूरत है, बिजली मिल रही है मात्र डेढ़ से दो मेगावाट. ऐसे में बिजली काटकर मेकअप करना पड़ता है. –उदय जारिका, बिजली मिस्त्री
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