चक्रधरपुर.
चक्रधरपुर के बंगलाटांड़ मुहल्ला स्थित मदीना मस्जिद इन दिनों एक ऐसे शख्स की वजह से चर्चा में है, जिन्होंने अपने जीवन का उत्तरार्ध पूरी तरह से खुदा की राह और जनसेवा को समर्पित कर दिया है. ये शख्स हैं हाजी सलीम अंसारी. पूर्व में चक्रधरपुर रेलवे में सेक्शन इंजीनियर रहे हाजी सलीम अंसारी जून 2013 में सेवानिवृत्त हुए. सेवानिवृत्ति के बाद जहां अधिकांश लोग आराम और निजी जीवन को प्राथमिकता देते हैं, वहीं सलीम साहब ने अपने जीवन की दिशा ही बदल दी. उन्होंने पहले मक्का मदीना की यात्रा कर हज की और हाजी की उपाधि प्राप्त की. हज से लौटने के बाद उन्होंने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया. अपने जीवन को धर्म और समाज की सेवा में लगाने का. मदीना मस्जिद, जो उनके घर के बगल में है. वहीं उन्होंने बतौर खादिम काम करना शुरू किया. मस्जिद की साफ-सफाई हो, आजान देना हो, तकबीर बोलनी हो या साउंड और प्रकाश व्यवस्था संभालनी हो, हर कार्य में वे हमेशा अग्रणी रहते हैं. पिछले 12 वर्षों से बिना रुके, बिना थके, वे इस सेवा में लगे हैं. नमाजियों और मोहल्ले वालों के अनुसार हाजी सलीम न केवल मस्जिद की सेवा करते हैं, बल्कि लोगों के सुख-दुख में बराबरी से शरीक होते हैं. उनके इस समर्पण को मुहल्ले वाले इबादत से कम नहीं मानते. हाजी सलीम अंसारी का मानना है कि सेवानिवृत्त होने के बाद मैंने सोचा कि अब वह वक्त आ गया है जब खुद को अल्लाह की राह में लगा दूं. हज के बाद मेरी सोच और भी मजबूत हो गयी. मस्जिद मेरी आत्मा की सुकून बन गई. जो भी कर रहा हूं, सब खुदा की खुशी के लिए है. जब तक जान है, मस्जिद और मोहल्ले की सेवा करता रहूंगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है