जैंतगढ़.पश्चिमी सिंहभूम जिले के जगन्नाथपुर प्रखंड स्थित गीतिलपी गांव के अग्निकांड ने अभिभावकों को चिंता बढ़ा दी है. पुआल के ढेर पर खेल रहे चार बच्चों की मौत की घटना ने दर्जनों सवाल खड़े दिये हैं. आग कैसे लगी? यह अबतक समझ नहीं आ रहा है. घटना के समय चार बच्चों के अलावा कोई नहीं था. ऐसे में अभिभावकों का कहना है कि अगर वहां कोई होता, तो बच्चों की जान बच सकती थी. ऐसे में क्षेत्र के अभिभावक अपने बच्चों के खेलने के लिए अकेले बाहर नहीं भेजना चाह रहे हैं.
गांवों में अक्सर एकांत में खेलते हैं बच्चे
ज्ञात हो कि ग्रामीण क्षेत्र में अक्सर बच्चे टोली बनाकर एकांत में खेलते हैं. यहां तक नदी-नाला में स्नान करने चले जाते हैं. यह काफी जोखिम भरा होता है. पूर्व में कई बार बच्चों के तालाब में डूबने से मौत की घटना हो चुकी है. ग्रामीण क्षेत्र के गरीब माता-पिता घर-परिवार चलाने को काम पर निकल जाते हैं. उसके बाद बच्चे इधर- उधर घूमने और खेलने के आदी हो जाते हैं. इससे हमेशा अनहोनी का डर बना रहता है.जगन्नाथपुर में दमकल की व्यवस्था नहीं
लंबे समय से मांग के बावजूद जगन्नाथपुर में दमकल की व्यवस्था नहीं है. किसी तरह की अनहोनी होने पर नोवामुंडी से दमकल गाड़ी मांगनी पड़ती है. इसमें काफी समय लगता है. जगन्नाथपुर अनुमंडल मुख्यालय होने के बावजूद यहां का अस्पताल खस्ताहाल में है. यहां ऐसे बड़े मामलों से निबटने के न संसाधन उपलब्ध है, न मैन पावर है. दमकल गाड़ी समय पर नहीं पहुंचने के कारण जैंतगढ़ में ग्रोसरी की दो दुकान जलकर राख हो चुकी है. जगन्नाथपुर में दमकल उपलब्ध कराने के साथ अस्पताल को हाइटेक करने की मांग उठ रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है