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पश्चिमी सिंहभूम : मानसून की देरी से सुस्त पड़ी खरीफ फसलों की बुआई, इंद्रदेव से प्रार्थना कर रहे किसान

पश्चिमी सिंहभूम में मानसून की देरी ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. पानी नहीं होने के कारण खरीफ फसल की खेती में सुस्ती दिख रही है. अब तक 1645 हेक्टेयर में ही धान बीज छींटा जा सका है. इस साल मात्र 33 मिमी ही बारिश हो पायी. बेहतर खेती के लिए जिले के 46034 अन्नदाताओं को 156 मिमी से अधिक बारिश चाहिए.

चाईबासा (पश्चिमी सिंहभूम), सुनील कुमार सिन्हा : मानसून आने में देरी से खरीफ फसल की खेती सुस्त है. अब तक 1645 हेक्टेयर में ही धान बीज छींटा जा सका है, जबकि अब तक 1,06,488 हेक्टेर खेतों में धान की छिंटायी का काम पूरा कर लिया जाना था. पिछले साल से जून माह में खेतों में धान की छिंटायी लगभग पूरी कर ली गयी थी, लेकिन इस बार मानसून के आने में देरी होने की वजह से बिचड़ा तैयार कर रोपाई शुरू करने की बात तो दूर, ज्यादातर खेतों की न तो जोताई हो पायी है और न ही धान बीज छींटा जा सका है. इससे जिले के 46,034 किसानों को चिंता सताने लगी है.

इस साल मात्र 33 मिमी ही बारिश हो पायी

पिछले साल मई में 85.1 मिली मीटर बारिश हुई थी, जो औसत से 23.6 मिमी ज्यादा थी, जबकि इस वर्ष मात्र 33 मिमी ही बारिश हो पायी है, जो औसत से 28.5 मिमी कम है. वहीं जून माह में 134.2 मिमी बारिश हुई थी, लेकिन इस बार अब तक 16.3 मिमी ही बारिश हो पायी है, जो औसत से 156.2 मिमी कम है. हालांकि जून माह खत्म होने में अभी नौ दिन बाकी है. यही वजह है कि किसानों की चिंता बढ़ गयी है.

अब तक 705.78 क्विंटल ही बीज का वितरण

जानकारी के अनुसार, जिले में 1.86 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की जानी है. इनमें छींटा विधि से 106488 व रोपा विधि से 6443 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य तय किया गया है. इसके लिये इस जिला को 1780 क्विंटल धान बीज आवंटित किया गया है. 1345 क्विंटल बीज मंगाने के लिये ड्राफ्ट जमा भी कर दिया गया है, लेकिन अब तक 705.78 क्विंटल ही धान बीज वितरित किये जा सके हैं. ऐसे में किसान घर में रखे बीजों का ही उपयोग कर रहे हैं.

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बारिश और बीज के इंतजार में किसान

मालूम हो कि सामान्य बीज से धान की खेती करने के लिए किसानों को प्रति हेक्टेयर 80 केजी बीज की जरूरत पड़ती है. जबकि हाइब्रिड धान से खेती करने पर प्रति हेक्टेयर 15 केजी बीज की जरूरत पड़ती है. अब किसानों को बारिश व धान बीज के इंतजार में बैठे हैं.

अगस्त तक रोप सकते हैं धान- बीज

इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी कालीपद महतो ने कहा कि मई और जून में माह में भले ही औसत से कम बारिश हुई है, लेकिन मानसून आ ही गया है. बहुत से किसान अपने खेतों में बीज की छिंटायी कर दी है. जून- जुलाई में बेहतर बारिश की उम्मीद है. इन दो महीने की बारिश काफी महत्व रखती है. किसान 15 अगस्त तक धान रोपनी का काम कर सकते हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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