चाईबासा.आदिवासी हो समाज के भाषा प्रेमी प्रोफेसर बलराम पाट पिंगुवा का सोमवार को 84 वर्ष की आयु में देहांत हो गया. उन्होंने रांची के मोहराबादी स्थित आवास में अंतिम सांस ली. वे अपने पीछे चार पुत्रों के छोड़ गये हैं. उनकी पत्नी सरस्वती जामुदा पिंगुवा का पूर्व में देहांत हो चुका है. उनके निधन पर पश्चिमी सिंहभूम हो राइटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जवाहरलाल बांकिरा, सचिव कृष्णा देवगम, संयुक्त सचिव सह हो भाषा प्राध्यापक दिलदार पूर्ति, संगठन सचिव सिकंदर बुड़ीउली, साहित्यकार डोबरो बुड़ीउली, हो भाषा प्रेमी नरेश नारंगा देवगम व हो भाषा प्राध्यापक बनमाली तामसोय आदि ने स्वर्गीय पिंगुवा के पैतृक गांव धनसारी जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
कुमारडुंगी प्रखंड के धनसारी गांव में हुआ था जन्म
मूलतः कुमारडुंगी प्रखंड के धनसारी गांव के कुशनु पाट पिंगुवा और पांडुमाइ के घर जन्मे प्रोफेसर बलराम पिंगुवा ने लेफ्टिनेंट मेजर के पद से शिक्षा जगत में कदम रखा. रांची कॉलेज में प्रयोग प्रदर्शक के रूप में कार्य किया. बाद में भूगोल के प्राध्यापक बने. साथ ही रीडर पद को भी सुशोभित किया. फिर जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग से जुड़कर अपनी मातृभाषा के उत्थान के लिए साहित्य, कविता एवं लेख के माध्यम से सामाजिक नेतृत्व करने का कार्य किया. लोको बोदरा की 100वीं जयंती पर झारखंड की तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने जनजातीय साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें सम्मानित किया था.
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