चाईबासा.
चाईबासा के पद्मावती जैन सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में शुक्रवार को अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के उपलक्ष्य में मातृ सम्मेलन आयोजित हुआ. इसमें 262 माताएं उपस्थित हुईं. उन्होंने अपने विचार रखे. पूनम देवी ने कहा कि बच्चों पर पुस्तकों का बोझ बहुत अधिक होता है. उनके बस्ते का बोझ कम किया जाना चाहिए. मुख्य अतिथि मांगीलाल रुंगटा, प्लस टू विद्यालय की प्राचार्या शिल्पा गुप्ता, अध्यक्ष रामध्यान मिश्र, उपाध्यक्ष बजरंग चिरानिया, सचिव तुलसी प्रसाद ठाकुर, सदस्य अनंतलाल विश्वकर्मा, सुजीत विश्वकर्मा ने दीप प्रज्वलित किया. मुख्य अतिथि ने कहा कि शिशु मंदिर संस्कार व संस्कृति का विद्यालय है. यहां भारतीय परंपरा, दर्शन व गुरुकुल पद्धति का दर्शन होता है.सादगी, शालीनता और आध्यात्मिकता की प्रतिमूर्ति थीं अहिल्याबाई
अतिथि परिचय जमुना कोया व प्रधानाचार्य रामाकांत राणा ने प्रस्तावना रखी. विशेष प्रस्तुति शिशु वाटिका की क्षेत्रीय प्रमुख मंजू श्रीवास्तव ने दी. उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई होलकर सादगी, शालीनता और आध्यात्मिकता की प्रतिमूर्ति थीं. सचिव तुलसी प्रसाद ठाकुर व अध्यक्ष ने कहा कि नारी सर्वत्र पूजनीय है. बच्चों के निर्माण में उनका बहुत बड़ा योगदान रहता है. बहुत सोचती, अब तो जागो नारी कल्याणी… गीत ने किया भावुकमौके पर छात्राओं ने सामूहिक गीत प्रस्तुत किया. बहुत सोचती, अब तो जागो नारी कल्याणी… गीत ने लोगों को भावुक कर दिया. कार्यक्रम का संचालन आठवीं के प्रीतम कुमार व पांचवीं की छात्रा आराध्या कुमारी ने किया. धन्यवाद ज्ञापन कुसुम सिंह ने किया.
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