तांतनगर. तांतनगर प्रखंड केतुइबाना गांव में ईचा खरकई बांध विरोधी संघ ने बैठक कर ईचा डैम के पुनः निर्माण का विरोध किया है. संघ ने सीएम हेमंत सोरेन सहित टीएसी के सदस्यों के खिलाफ नारेबाजी कर विरोध जताया. कहा कि डैम निर्माण को लेकर ग्रामीणों का विरोध जारी रहेगा. बताया कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार, निर्माण कार्य शुरू करने के लिए 126 गांवों की ग्रामसभा से सहमति अनिवार्य है. फिर भी ईचा डैम निर्माण शुरू होने से ग्रामीण, आदिवासी और मूलवासियों में आक्रोश व्याप्ता है. सिंचाई के नाम पर विस्थापन और विनाश का खतरा मंडरा रहा है. पूर्व में हेमंत सोरेन की सरकार ईचा खरकई बांध विरोधी संघ और 87 गांवों के आंदोलन को देखते हुए ईचा डैम के मुद्दे को 2020 में स्थगित करना पड़ा था. वहीं 10 अक्तूबर 2014 में टीएसी की उप समिति ने तत्कालीन कल्याण मंत्री चंपाई सोरेन की अध्यक्षता में समिति ने अपनी रिपोर्ट में परियोजना को रद्द करने और रैयतों को उनकी जमीन वापस करने की अनुशंसा की थी.
बैठक में पूर्व अध्यक्ष साधो पूर्ति, कृष्णा बानरा, रेयांश समड, गुलिया कालुंडिया, रवीन्द्र अल्डा, श्याम कुदादा, विशाल अल्डा, बिरसा गोडसोरा, सतारी अल्डा, सोमा बुड़ीउली, कालिया, महेश्वर देवगम, मिलन कालुंडिया, बुधु कालुंडिया, तारीकृष्ण कालुंडिया, बोने जोंको , सोना बुड़ीउली, माली पूर्ति, सोना पूर्ति, मुनि पूर्ति, जिन्गी पूर्ति, मुनी, सुनीता, सीता गागराई आदि उपस्थित थे.अबुआ सरकार के मंत्री व विधायक का घर घेरेंगे
संघ के अध्यक्ष बीरसिंह बिरुली ने कहा कि इसे लेकर अबुआ सरकार के मंत्री और विधायकों का आवास घेराव किया जाएगा. कहा कि सरकार ईचा डैम का निर्माण कर किसका हित करना चाहती है. यह अब यह किसी से छिपा नहीं है. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार इसे सिर्फ एक मुद्दा बना कर आदिवासी- मूलवासियों के वोट की राजनीति करती रही है. आदिवासी हितों के लिए जिस टीएसी की ओर से रद्द करने की अनुशंसा की गयी थी, अब उसी संस्था से पुनः निर्माण के लिए सहमति दी जा रही है. डैम को छोटा कर 87 गांवों से 18 गांव प्रभावित होने की बात कही जा रही है. यह सरासर गलत है. जल, जंगल और जमीन सिर्फ झामुमो की बन कर रह गयी है. ईचा खरकई बांध विरोधी संघ एकजुट होकर डैम को रद्द करने के लिए हरसंभव संघर्ष करेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है