आनंदपुर.
यह तस्वीर आपके दिमाग को सुन्न कर देगी. दशकों से नाले के गंदा पानी पीकर जिंदगी चल रही है. झारखंड गठन के 25 साल बाद भी कई क्षेत्रों में लोग पेयजल को तरस रहे हैं. दरअसल, पश्चिमी सिंहभूम जिले के आनंदपुर प्रखंड स्थित बेड़ाइचिंडा गांव के जोलहा टोला के सात परिवारों (करीब 50 लोग) का जीवन दशकों से नाले का पानी से चल रहा है. गांव की तस्वीर सरकार व प्रशासन के दावों का पोल खोल रही है. टोला के लोग नहीं जानते हैं कि साफ पानी का स्वाद व रंग कैसा होता है. दरअसल, बेड़ाइचिंडा के जोलहा टोला में चापाकल नहीं है. यहां के सात परिवार सदियों से चुआं का गंदा पानी उबालकर उपयोग करते हैं.बरसात में पानी की तलाश में भटकते हैं
ग्रामीण
टोला के ग्रामीणों की समस्या बरसात में बढ़ जाती है. बरसात में नाला में पानी भरने पर ग्रामीणों को पानी के लिए भटकना पड़ता है. ग्रामीणों ने बताया कि पास के स्कूल टोला में पंचायत फंड से सोलर ऊर्जा संचालित जलमीनार है. गर्मी में जलस्तर कम हो जाता है. सुबह 10 बजे के बाद पानी नहीं मिलता है. वहीं, बरसात में सोलर ऊर्जा काम नहीं करने से टंकी में पानी जमा नहीं होता है. ऐसी स्थिति में जोलहा टोला के ग्रामीण दूरदराज कुआं या चापाकल से पानी लाते हैं.
गांव के चार टोलों में जलापूर्ति योजना है, 10 में से सात चापाकल खराब
आनंदपुर पंचायत का बेड़ाइचिंडा गांव सड़क मार्ग से जुड़ा है. आठ टोलों के गांव में 178 परिवार हैं. यहां की जनसंख्या करीब 718 है. जल जीवन मिशन (जेजेएम) से चार टोलों में जलमीनार लगी है. गांव में 10 से ज्यादा चापाकल हैं, जिसमें मात्र 3 चापाकल ठीक है. बाकी चापाकल बेकार पड़े हैं. स्कूल टोला स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय बेड़ाइचिंडा का चापाकल का जलस्तर गर्मी में घट जाता है.
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