मनोहरपुर. सारंडा के तिरिलपोसी जंगल में घायल हाथी की इलाज के दौरान गुरुवार को मौत हो गयी. शुक्रवार को जराइकेला स्थित समता वन क्षेत्र कार्यालय में पशु चिकित्सकों की टीम ने पोस्टमार्टम किया. इसके बाद शव को वन कर्मियों ने दफना दिया. दरअसल, पैर में घाव वाले जगह पर मांस गलने, हड्डियां टूटने और अत्यधिक रक्तस्राव से हाथी की मौत हुई. चिकित्सकों ने कहा कि हाथी की स्थिति बीते शनिवार को मारे गये हाथी से भी गंभीर थी. इस हाथी के पैर की तीन मुख्य हड्डियां टूट गयी थीं. पैर में इंफेक्शन फैल गया था. हाथी को बेहोश कर इलाज किया जा रहा था. हाथी को बेहोश करने के घंटे भर में मौत हो गयी. पोस्टमार्टम करने वाली टीम ने अग्रेतर जांच के लिए बिसरा संग्रह किया है.
बारिश के कारण दो सप्ताह से कहीं छिपा था हाथी:
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उक्त घायल हाथी दो सप्ताह से लगातार बारिश के कारण कहीं छिपा हुआ था. इस कारण उसके लोकेशन का पता नहीं चल रहा था. बारिश कम होने पर हाथी सड़क के पास आया. ग्रामीणों ने इसकी जानकारी विभाग को दी. शुक्रवार को पोस्टमार्टम के दौरान रेंज अधिकारी शंकर भगत, रामनंदन राम, बीडीओ शक्ति कुंज, राजेंद्र बाड़ा व वन विभाग कर्मी मौजूद थे.आइइडी ब्लास्ट से घायल होने की संभावना : डॉ संजय
मनोहरपुर के पशु चिकित्सक डॉ संजय घोलटकर ने बताया कि हाथी की तीन मुख्य हड्डियां टूटी थीं. जिस पर हाथी अपना वजन रखता है, वह काफी अधिक जख्मी थीं. सभी उंगलियां गायब थीं. पैर में सिर्फ मांस दिख रहा था. नीचे वाली उंगली के हिस्से में जला हुआ निशान पाया गया. फॉरेंसिक जांच के लिए हाथी का बिसरा और खून सुरक्षित रख लिया गया है. आइइडी ब्लास्ट में घायल होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.पश्चिमी सिंहभूम : 10 वर्षों में 31 हाथियों की गयी जान
पश्चिमी सिंहभूम के टोंटो प्रखंड में बुधवार की रात हाथी की मौत का कारण जानने के लिए विभाग फॉरेंसिक जांच की तैयारी में है. इसके लिए बिसरा को लैब में भेजा जायेगा. जिले में पिछले 10 वर्षों में 31 हाथियों की मौत हो चुकी है. जिले में वनों को चार भाग में बांटा गया है. सारंडा, पोड़ाहाट, कोल्हान व चाईबासा वन प्रमंडल. 10 वर्षों में सबसे ज्यादा हाथियों की मौत चाईबासा वन प्रमंडल में हुई है. इनमें बच्चा हाथी भी शामिल हैं. आम तौर पर हाथियों की मौत बिजली के झूलते तार या बीमारी की वजह से होती है. बच्चा हाथियों के तालाब में डूबने से मौत हो चुकी है. हाल के दिनों में दो हाथियों की मौत आइइडी की चपेट में आने से हुई है. इसकी पुष्टि सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी अभिरूप सिन्हा ने की है. उन्होंने बताया कि सारंडा में दो हाथियों के मौत के बाद पोस्टमार्टम कराया गया. हाथियों के पांव जल गये थे.चाईबासा वन प्रमंडल : 10 वर्षों में 22 हाथी मरे
चाईबासा वन प्रमंडल में 10 साल में 22 हाथियों की मौत हो चुकी है. वर्ष 2017 के दिसंबर माह में हाटगम्हरिया के बडाबेलमा में शिकार किया गया था. इसी वर्ष 29 दिसंबर काे नोवामुंडी के जामपानी में प्रसव पीड़ा से एक हथिनी की मौत हुई थी. वर्ष 2018 में नोवामुंडी के करंजिया में ठंड से एक हाथी की मौत हो गयी. बच्चा हाथी की तालाब में डूबने से मौत हो गयी. बुरुसाइ में बीमारी से बच्चा हाथी की मौत हो गयी थी. इसी तरह विद्युत स्पर्शाघात से खेडियाटांगर में एक हाथी की मौत हो गई. वहीं वर्ष 2019 में सिलपूंजी गांव के तालाब में डूबने से बच्चा हाथी की मौत हो गई. वर्ष 2020 में हाटगम्हरिया क अबिला गांव में विद्युत स्पर्शाघात से एक हाथी की मौत हो गई, जबकि इसी वर्ष अंगरडीहा तालाब में डूबने से बच्चा हाथी मौत हो गई. वहीं डरिमा गांव में बीमार हाथी के एक बच्चे की मौत हो गई. वहीं हाटगम्हरिया के रंगकुई गांव में विद्युत स्पर्शाघात से एक हाथी की मौत हो गई. इसी तरह वर्ष 2022 में डारिमा गांव के तालाब में डूबने के कारण हाथी क बच्चे की मौत हो गई. इसके आठ दिन बाद ही हाटगम्हरिया में फिर एक बच्चा हाथी की तालाब में डूबने से मौत हो गई, जबकि दिसंबर माह में नोवामंडी के जुगीनंदा गांव में विद्युत स्पर्शाघात एक हाथी की मौत हो गई. इसेक बाद 2023 के सितंबर माह में नोवामुडी के ही कसिरा गांव में एक हाथी की स्वाभाविक मौत हो गयी. वर्ष 2024 जुलाई माह में हाटगम्हरिया के मोंगरा में तालाब में डूबने से हाथी की मौत हो गई. वहीं चाईबासा के बड़ापुटिसिया में सितंबर माह में तालाब मेंडूबने से हाथी के एक बच्चे की मौत हो गई. इसी वर्ष अक्तूबर माह में राजंका तालाब में डूबने से हाथी के एक बच्चे की मौ हो गई. इसी वर्ष 29 दिसंबर माह में बाहरी जख्म की वजह से एक हाथी की मौत हो गई. वहीं वर्ष 2025 के जनवरी माह में नोवामुडी के पट्टाजैंत में बीमारी की वजह से एक हाथी की मौत हो गई. वहीं सागरकट्टा में 2 मई को व सेरेंगिसिया में 10 जुलाई को मौत हो गई.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है