गुवा.
सेल की गुवा लौह अयस्क खदान के आसपास के ग्रामीण आंदोलन के मूड में हैं. गुवा व आसपास के गांवों के शिक्षित बेरोजगार, ग्रामीण, सप्लाई मजदूर और सेलकर्मी लगातार शोषण के आरोप लगाते रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की अगुवाई में 1 जुलाई से गुवा खदान के जनरल ऑफिस का घेराव व अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी की घोषणा की गयी है. दरअसल, गुरुवार (26 जून) को एसबीआइ के पीछे वर्कर्स क्लब में एक बैठक की गयी. इसमें मधु कोड़ा ने कहा कि गुवा खदान प्रबंधन ने स्थानीय लोगों को सिर्फ धोखा व शोषण दिया है. अब गांव खड़ा हो चुका है. इस बार का आंदोलन निर्णायक होगा. अगर कंपनी ने पुराने समझौता को लागू नहीं किया, स्थानीयों को रोजगार नहीं दिया और विस्थापन से पहले पुनर्वास नहीं किया, तो आंदोलन उग्र व व्यापक होगा.पूर्व में हुए समझौते पर नहीं हुआ अमल
गौरतलब हो कि 11 जुलाई, 2024 को गुवा खदान में एमडीओ (माइन डेवलपर ऑपरेटर) के खिलाफ अनिश्चितकालीन स्लो डाउन आंदोलन हुआ था. इसके बाद कंपनी ने मेघालय गेस्ट हाउस में लिखित समझौता किया था. उसे अबतक लागू नहीं किया गया. समझौता में 500 स्थानीय शिक्षित बेरोजगारों को ठेका मजदूर के रूप में नियोजन, समान काम का समान वेतन की गारंटी, स्थानीयों को शत-प्रतिशत प्राथमिकता के साथ रोजगार, विस्थापन से पूर्व सभी छह बस्तियों के परिवारों का पुनर्वास की बात कही गयी थी. बैठक में अंतर महाकुड़ झारखंड मजदूर संघर्ष संघ, गोविंद पाठक सारंडा मजदूर यूनियन, मुकेश लाल, समीर पाठक भारतीय मजदूर संघ, हेमराज सोनार झारखंड मजदूर यूनियन, राकेश कुमार सुण्डी क्रांतिकारी इस्पात मजदूर संघ, राजेश कोड़ा सप्लाई मजदूर संघ, रमेश गोप सीटू, चांदमनी लागुरी, पद्मिनी लागुरी पंचायत मुखिया, पद्मा केसरी बाल अधिकार मंच, देवकी कुमारी जिला परिषद सदस्य, गीता देवी, ममता देवी जेएसएलपीएस, सारंडा युवा बेरोजगार संघ, विस्थापन पीड़ित ग्रामीण मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है