चाईबासा.
झारखंड सरकार सबकी सहमति से त्रुटि रहित और ठोस पेसा नियमावली लागू करेगी. इसके लिए आदिवासी बुद्धिजीवी व विभिन्न सामाजिक संगठनों से सुझावों पर विचार किया जायेगा. नियमावली में आदिवासी समुदाय के हितों की रक्षा की जायेगी. उनकी परंपरागत स्वशासन व्यवस्था के अधिकारों को बरकरार रखा जायेगा. उक्त बातें कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी के राजू ने रविवार को चाईबासा परिसदन में प्रेस वार्ता में कही. वे रविवार को चाईबासा परिसदन में विभिन्न आदिवासी संगठनों के साथ विचार गोष्ठी के बाद पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा पेसा कानून संशोधित ड्राफ्ट में आवश्यक बदलाव किये जायेंगे. कहा कि आदिवासी समुदाय से पेसा नियमावली पर सुझाव लिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य की जनजातीय बहुल पंचायतों को विशेष अधिकार देनेवाली पेसा नियमावली सबकी सहमति से ही लागू की जायेगी. नियमावली त्रुटि रहित तथा ठोस होगी, ताकि बाद में उसपर कोई विवाद न हो. इसमें आदिवासी समुदाय के हितों की अनदेखी नहीं की जायेगी. परंपरागत स्वशासन व्यवस्था के अधिकारों को बरकरार रखा जायेगा.पेसा लागू करने के लिए सरकार ने प्रतिबद्धता दिखायी : मंत्री
ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री दीपिका पांडेय ने कहा कि राज्य सरकार ने पेसा अधिनियम को लागू करने के लिए प्रतिबद्धता दिखायी है. पेसा अधिनियम 1996 में लागू किया गया था. इसका मुख्य उद्देश्य जनजातीय क्षेत्र में रहनेवाले लोगों को उनकी भूमि और संसाधनों पर नियंत्रण देने के लिए किया गया था. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार का पंचायती राज विभाग को पेसा अधिनियम पर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजन करेगी. उन्होंने कहा कि कानून कागज पर नहीं बने. धरातल पर ही कानून की रक्षा करें. इससे पूर्व मंत्री ने कोल्हान प्रमंडल स्तरीय पेसा कानून पर मानकी, मुंडा और विभिन्न आदिवासी संगठनों से सुझाव मांगे. इस दौरान विभिन्न आदिवासी संगठनों ने पेसा कानून लागू करने के सुझाव दिये. इस मौके पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, रामेश्वर उरांव, रामा खलखो समेत काफी संख्या में कांग्रेस नेता और कोल्हान प्रमंडल स्तरीय पेसा कानून पर मानकी, मुंडा और विभिन्न आदिवासी संगठन के पदाधिकारी उपस्थित थे.
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