गुवा.
पश्चिमी सिंहभूम जिले के नक्सल प्रभावित सारंडा स्थित छोटानागरा व गंगदा पंचायत के जोजोगुटू से काशिया-पेचा होते हुए घाटकुड़ी तक लगभग 11-12 किलोमीटर सड़क आज तक नहीं बन सकी है. ऐसे में बरसात के तीन-चार महीने में उक्त मार्ग पर आवागमन जानलेवा बन जाता है. कीचड़ व दलदल के कारण पैदल चलना भी जोखिम भरा है. वहीं, गर्मी व सर्दी में धूल, गड्ढे और पथरीले रास्ते से किसी तरह लोग आवागमन करते हैं. उक्त सड़क जर्जर होने के कारण शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सुरक्षा व्यवस्था सवालों के घेरे में है. बरसात में बीमार को अस्पताल लाने, विद्यार्थियों को स्कूल जाने, लोगों को काम के लिए बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है. लोगों का कहना है कि सरकारें अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुंचाने का दंभ भर रही है, जबकि जमीनी हकीकत डरावनी है.काशिया-पेचा गांव में आजतक जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचे
काशिया-पेचा गांव में आजतक कोई जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचा. हर साल बजट में ग्रामीण सड़क योजना, पीएमजीएसवाई, डीएमएफटी फंड की चर्चा होती है. सारंडा के आदिवासी सिर्फ आंकड़ों में विकास का हिस्सा बनते हैं. जमीनी हकीकत कुछ और है. स्थानीय युवाओं व ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि अब हमें कोई बहाना नहीं चाहिए. सरकार सड़क बनाये या यहां से वोट की उम्मीद छोड़ दे.कीचड़ में फंसी एंबंलुेस, धक्का देकर पार करायी
पिछले वर्ष काशिया-पेचा गांव में बीमार व्यक्ति को अस्पताल ले जाने के क्रम में सरकारी एम्बुलेंस कीचड़ में फंस गयी. ग्रामीणों ने घंटों मशक्कत से धक्का देकर बाहर निकाली.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है