24.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

झारखंड : पुलिस-नक्सलियों की लड़ाई में पिस रहे आदिवासी, 6 माह में IED ब्लास्ट से 8 मरे, 6 घायल

पश्चिमी सिंहभूम में जंगल के सहारे रोजी-रोटी चलने वाले ग्रामीणों की जिंदगी आफत में है. जंगल नहीं गये तो भूख और गये तो बम जान ले रही है. पुलिस और नक्सली दोनों जंगल जाने से रोकते हैं. इस कारण क्षेत्र के ग्रामीण अपराधी की तरह जीने को विवश हैं.

Jharkhand News: झारखंड में नक्सलियों और पुलिस की लड़ाई में जंगल में रहने वाले आदिवासी परेशान हैं. बेवजह उनकी मौत हो रही है. महज 6 महीने में 8 लोगों की मौत हो चुकी है. 6 घायल हो चुके हैं. मृतकों में एक 10 साल का मासूम भी शामिल है. झारखंड पुलिस ने केंद्रीय बलों के साथ मिलकर नक्सलियों के सफाये का ऑपरेशन चला रही है. पुलिस से बचने के लिए नक्सलियों ने पूरे जंगल में आईईडी बिछा दिया है, ताकि पुलिस उन तक न पहुंच सके. इसका खामियाजा जंगल में रहने वाले आदिवासी ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है. आये दिन नक्सलियों के द्वारा बिछाये गये विस्फोटकों की चपेट में आ रहे हैं.

रोजी-रोटी के लिए जंगल में जाना है ग्रामीणों की मजबूरी

पश्चिमी सिंहभूम जिले में जंगल के सहारे रोजी-रोटी चलने वाले ग्रामीणों की जिंदगी आफत में है. जंगल नहीं जाएंगे तो भूख से और जंगल गये तो नक्सलियों के लगाये बम (आइइडी) से मौत हो रही है. ग्रामीण दोहरे संकट में हैं. हालांकि पुलिस व नक्सली दोनों ग्रामीणों को जंगल में नहीं जाने की चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन रोजी-रोटी कहां से आयेगी? इसकी चिंता किसी को नहीं है. आखिर चिंता हो भी क्यों, मरने वाले गरीब ही तो हैं. शायद! उनकी जिंदगी का कोई मोल नहीं है, तभी तो लगातार ग्रामीणों की मौत के बावजूद प्रशासन व सरकार चुप है. गुरुवार को 10 वर्षीय बच्चे की जान बम विस्फोट में चली गयी. बच्चे ने अभी दुनिया देखी भी नहीं थी, कि उसे गरीब होने का इनाम मौत के रूप में मिल गया. अबतक आठ निर्दोष ग्रामीण जान गंवा चुके हैं, लेकिन उनके परिवार वालों की चिंता किसी को नहीं है.

नक्सलियों व पुलिस की लड़ाई में जान गंवा रहे ग्रामीण

प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी के नक्सलियों व पुलिस के बीच लड़ाई में ग्रामीण जान गंवा रहे हैं. नक्सलियों ने अपनी सुरक्षा व जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए जंगल में जगह-जगह आइइडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) प्लांट कर रखा है. वहीं जंगलों में बिछाये लैंडमाइन, बुबी ट्रैप व स्पाइक हॉल से 13 जवान व कई ग्रामीण घायल हो चुके हैं. ऐसे में ग्रामीणों को जीविका देने वाला जंगल जानलेवा बन गया है.

टोंटो और गोईलकेरा के 80 फीसदी ग्रामीणों की जिंदगी जंगल के भरोसे

कोल्हान जंगल अंतर्गत टोंटो और गोइलकेरा प्रखंड के करीब 75-80 फीसदी ग्रामीणों की जिंदगी वनोत्पाद से चलती है. अप्रैल और मई में केंदू पत्ता तोड़कर सुखाने का समय रहता है. इसमें 80 फीसदी घरों के लोग जुटे रहते हैं. इनमें ज्यादातर ग्रामीण जंगल की लकड़ी बेचकर अपना व अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. उन्हें साइकिल से 25-35 किमी तक सफर करना पड़ता है. ग्रामीण सुबह जंगल में चले जाते हैं. वहां से लकड़ियां लाकर बेचते हैं.

Also Read: Indian Railways News: हावड़ा- पटना के बीच चलेगी ग्रीष्मकालीन स्पेशल ट्रेन, जानें शेड्यूल

डेढ़ माह में 150 से अधिक विस्फोट हुए

नक्सलियों ने सबसे ज्यादा आईईडी (बम) तुम्बाहाका, जोजोहातु, अंजदबेड़ा, माइलपी, सुइअंबा, सोयतवा व पाटातारोब के जंगलों में लगाया है. इन रास्तों के जंगलों में बीते डेढ़ माह में 150 से अधिक विस्फोट हो चुके हैं.

सुरक्षा बलों के समक्ष दो चुनौतियां

कोल्हान वन क्षेत्र के टोंटो व गोइलकेरा के सीमावर्ती क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ अभियान में पुलिस व सुरक्षा बलों के समक्ष दो अहम चुनौतियां हैं. नक्सलियों के बिछाये आइइडी (प्रेशर बम) से ग्रामीणों का बचाव करना शामिल है. ग्रामीणों को आइइडी से बचाव के तरीके बताये जा रहे हैं. सुरक्षाबल ग्रामीणों को बता रहे हैं कि जंगल के कच्चे मार्ग पर चलने से बचें. यदि मार्ग पर तार या गड्ढे दिखे तो उस दिशा में जाने से बचें.

पहाड़ी से सुरक्षा बलों के मूवमेंट पर नजर रखते हैं नक्सली

सूत्रों के अनुसार, पुलिस और सुरक्षा बलों के मूवमेंट की जानकारी नक्सलियों को उनके जंगल में प्रवेश करते ही मिल जाती है. ऐसे में नक्सली वहां से हटकर ऐसे क्षेत्र में चले जाते हैं, जहां हर तरह से सुरक्षित रह सकें. पुलिस उनतक पहुंच भी न पाये. दरअसल कोल्हान जंगल का इलाका बड़ा होने और जंगल में गांव बसे होने के कारण नक्सली पहाड़ी और जंगल होते हुए वैसे स्थान पर पहुंच जाते हैं, जहां से पुलिस की मूवमेंट पर नजर रख सकें.

Also Read: सेवाती घाटी सीमा विवाद : पश्चिम बंगाल ने झारखंड का 600 फुट किया है कब्जा, सर्वे में हुआ खुलासा

दिन में ग्रामीण की वेश में रहते हैं नक्सली

सूत्रों के अनुसार, नक्सली दस्ते के कुछ सदस्य दिन में जंगल में ग्रामीण की वेश में घूमते रहते हैं, ताकि पुलिस की मौजूदगी का उन्हें पता चल सके. दस्ते के अन्य सदस्य घने जंगल में छिपे रहते हैं. जैसे ही उन्हें पुलिस व सुरक्षा बल क्षेत्र में मूवमेंट करते दिखते हैं, वे सतर्क हो जाते हैं. वहीं, दिन ढलने के बाद उनकी पोषाक बदल जाती है.

आईईडी की चपेट में आने से जान गंवाने वाले ग्रामीण

तारीख : नाम और उम्र : गांव

20 नवंबर, 2022 : चेतन कोड़ा (45) : रेंगड़ाहातु, टोंटो

28 दिसंबर, 2022 : सिंगराय पूर्ति (23) : छोटाकुइड़ा, गोईलकेरा

21 फरवरी, 2023 : हरिश्चंद्र गोप (23) : मेरालगढ़ा, गोईलकेरा

एक मार्च, 2023 : कृष्णा पूर्ति (55) : ईचाहातु, गोईलकेरा

25 मार्च, 2023 : गुरुवारी तामसोय (62) : चिड़ियाबेड़ा, मुफस्सिल

14 अप्रैल, 2023 : जेना कोड़ा उर्फ मोटका (35) : रेंगड़ाहातु, टोंटो

28 अप्रैल, 2023 : गांगी सुरीन (65) : पाताहातु, गोईलकेरा

18 मई, 2023 : नारा कोड़ा (10) : रेंगड़ाहातु (बांग्लागुटु टोला)

आईईडी की चपेट में आने से घायल ग्रामीण

तारीख : नाम और उम्र : गांव

24 जनवरी, 2023 : बालक (13) : कटम्बा, गोईलकेरा

23 फरवरी, 2023 : जेमा बहांदा (55) : पटातोरोब, टोंटो

01 मार्च, 2023 : नंदी पूर्ति (50) ईचाहातु, गोईलकेरा

25 मार्च, 2023 : चांदो कुई तामसोय (62) : अंजदबेड़ा के चिड़ियाबेड़ा

09 अप्रैल, 2023 : सेलाय कुंटिया : पटातोरोब, टोंटो

14 अप्रैल, 2023 : बालक (6) : रेंगड़ाहातु, टोंटो

Also Read: झारखंड : 2000 रुपये के नोट वापस लेने के फैसले को बोकारो चेंबर ने सराहा, कहा- कालाधन के प्रवाह में लगेगा अंकुश

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel