चाईबासा.शहरवासियों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के उद्देश्य से शुरू की गयी चाईबासा शहरी जलापूर्ति योजना की लागत तो 36 करोड़ से बढ़कर 54 करोड़ रुपये हो गयी. लेकिन अब तक लोगों को नियमित जलापूर्ति नहीं मिल सकी है. भीषण गर्मी में भी कई क्षेत्रों में पानी की किल्लत बनी हुई है, जिससे लोगों में असंतोष है. योजना के अंतर्गत अब तक तीन अलग-अलग संवेदकों को कार्य दिया गया, बावजूद इसके गौशाला क्षेत्र और रेलवे कॉलोनी जैसे क्षेत्रों में योजना की पहुंच नहीं हो सकी है. विभाग का दावा है कि वह सभी घरों तक जलापूर्ति सुनिश्चित करने को लेकर संकल्पित है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है.
तीन संवेदक कर चुके हैं कार्य, फिर भी अधूरी योजना
शहरी जलापूर्ति योजना की पहल 2012 में शुरू हुई थी, लेकिन इसका क्रियान्वयन वर्ष 2016-17 में आरंभ हुआ. प्रारंभ में 36 करोड़ की लागत से योजना शुरू हुई थी, जिसमें एमएस एनवायरनमेंट नामक कंपनी को ठेका दिया गया, परंतु उसके दिवालिया घोषित होने के कारण योजना ठप पड़ गयी. इसके बाद 2022-23 में जमशेदपुर की कंपनी जेमिनी इंटरप्राइजेज को डीएमएफटी की ओर से 12.5 करोड़ की लागत से कार्य सौंपा गया. कंपनी ने तय सीमा से अधिक करीब 30 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाई और 1700 घरों में जल कनेक्शन दिया. साथ ही 13,000 वाटर मीटर की आपूर्ति भी की गयी, जो अब तक लगाये नहीं जा सके हैं. इसके उपरांत शेष कार्य के लिए चतरा के संवेदक विजेंद्र सिंह को 6.5 करोड़ रुपये की योजना दी गयी, ताकि बाकी बचे लगभग 500 घरों तक पानी पहुंचाया जा सके. साथ ही, योजना के तहत पानी शुद्धीकरण के लिए फिटकरी और चूने की आपूर्ति का कार्य भी इसी एजेंसी को सौंपा गया है.पानी की कमी से जूझ रहे हैं ये इलाके
नीमडीह न्यू कॉलोनी: आधे से अधिक क्षेत्र में नहीं पहुंचा पानीमहिला कॉलेज लाइन: अधिकतर घरों तक नहीं पहुंची पाइपलाइनगुटूसाई और हिल टॉप क्षेत्र: कई गलियों में अब भी जल कनेक्शन नहींकोट
गौशाला क्षेत्र में स्थानीय लोगों के सहयोग की कमी के कारण पाइपलाइन बिछाने में समस्या आ रही है. वहीं रेलवे कॉलोनी में पाइपलाइन बिछाने के लिए अब तक रेलवे की ओर से एनओसी नहीं मिल सकी है. जैसे ही एनओसी मिलती है, वहां भी काम शुरू कर दिया जाएगा. -बिनोद कुमार, कार्यपालक अभियंताडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है