जैंतगढ़.
जैंतगढ़ के कानुपुर डैम के समीप वैतरणी बचाओ मिशन की ओर से सम्मेलन सह जनसभा आयोजित हुई. इसमें सूखती जा रही वैतरणी नदी, कानुपुर डैम का स्विस गेट बंद होने से परेशानी, बांध में इंटेकवेल बनाकर लौह अयस्क पाइपलाइन के जरिये भेजने के विरुद्ध मुद्दा उठा. इसमें कहा गया कि औद्योगिक विकास के नाम पर वैतरणी नदी के मुख्य प्रवाह को अवरुद्ध किया जा रहा है. इससे भविष्य में जल संकट उत्पन्न होगा. वैतरणी बचाओ सम्मेलन में जिले भर के किसानों से वैतरणी नदी की रक्षा के लिए एकजुट होने का आह्वान किया गया. किसानों को कानुपुर बांध परियोजना से पानी मिले, जोड़ा प्रखंड के बासुदेवपुर में पाइपलाइन के माध्यम से वैतरणी नदी पर निर्माणाधीन कानुपुर बांध परियोजना के जलाशय से औद्योगिक प्रतिष्ठानों को पानी खींचने की अनुमति दिये जाने के विरोध में जल पुरुष राजेंद्र सिंह, पर्यावरणविद् प्रफुल्ल सामंतरा, महानदी बाण आन आंदोलन के संयोजक सुदर्शन दास, सामाजिक कार्यकर्ता डॉ भारती जेना ने यह आह्वान किया.वैतरणी नदी पर बांध पर कड़ा विरोध
सम्मेलन के दौरान कृषि भूमि की सिंचाई की बजाय उद्योगों को पानी की आपूर्ति करने के लिए वैतरणी नदी पर बांध बनाने की योजना का विरोध हुआ. किसानों के सामूहिक विकास पर विचार किये बिना औद्योगिक इकाइयों को जलाशय के ऊपरी छोर पर अंतग्रहण कर कुओं के निर्माण की अनुमति दे दी गयी है. निजी कंपनियों द्वारा जल-सेवन कुओं का निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है. इससे कृषि और किसानों के लिए संकट पैदा हो गया है. सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए.छह प्रस्ताव किये गये पास
सम्मेलन में छह प्रस्ताव पारित किये गये. इसमें मांग यह थी कि राज्य सरकार वैतरणी की स्थिति पर एक श्वेत पत्र जारी करे. राज्य सरकार नदियों की रक्षा के लिए एक नदी नीति लाये, पाइपों के माध्यम से वैतरणी के पानी का उपयोग कर खनन परिवहन करने पर प्रतिबंध लगाया, उन दो कंपनियों के वैतरणी पानी उपयोग कर खनन परिवहन की अनुमति को रद्द किया जाए. औद्योगिक अपशिष्ट को नदी में न छोड़ा जाये. इन मांगों को सरकार के समक्ष रखने व विरोध प्रदर्शन के साथ-साथ कानूनी लड़ाई शुरू करने का भी निर्णय लिया गया.
ये हुए शामिल
अभियान के समन्वयक अशोक ठक्कर की अध्यक्षता में आयोजित सम्मेलन में विभिन्न पंचायतों के सरपंच, जिला परिषद सदस्य सहित बड़ी संख्या में किसान और ट्रक मालिक शामिल हुए.
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