कोल वाहनों की नहीं होती है नियमित जांच
चतरा. एक ओर जहां सीसीएल कोयला उत्पादन व ढुलाई कर हर साल क्रीतिमान हासिल कर रहा है. ट्रांसपोर्टर मालामाल हो रहे है. वहीं दूसरी ओर कोल वाहन की चपेट में आने से आये दिन लोगों की जान जा रही है. टंडवा, सिमरिया, कटकमसांडी, चंदवा पथ से कोयले की ढुलाई की जा रही है. कोयले की ढुलाई ओएसएल, जेआरएल, पीएनएम समेत कई ट्रांसपोर्टिंग कंपनियों द्वारा की जा रही है. कोल वाहन चालको की लापरवाही से आये दिन दुर्घटना हो रही है. टंडवा की आम्रपाली, मगध व केरेडारी के चट्टीबारियातु कोल परियोजना से हर रोज सैकड़ों वाहनों से कोयले की ढुलाई की जाती है. शाम ढलते ही सड़कों पर कोल वाहनों का कब्जा हो जाता है. कोल वाहन ओवरटेक करने के चक्कर में बाइक सवार व अन्य छोटे वाहनों को चपेट में ले लेते हैं, जिससे लोगों की जान जा रही है. उक्त पथ में कई जगहों पर घनी आबादी है, जहां हमेशा भीड़भाड़ लगी रहती है. हर रोज किसी न किसी स्थान पर साप्ताहिक हाट लगता है. कोल वाहनों के चलने से हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. चालक वाहनों को तेज गति से ले जाते हैं. जिला परिवहन विभाग द्वारा नियमित जांच नहीं की जाती हैं. जिन्हें गाड़ी चलाने का अनुभव नहीं है, वे भी वाहन चलाते देखे जाते हैं. ट्रांसपोर्टर वाहन चालकों पर अधिक से अधिक कोयला ढुलाई का दबाव बनाते हैं. दुर्घटना में मारे जाने वाले लोगों के परिजनों को समुचित मुआवजा नहीं मिलता है. 2008 से सड़क मार्ग से कोयले की ढुलाई हो रही है. अब तक 800 से अधिक लोगो की जान जा चुकी है. इसके बाद भी जिला प्रशासन व सीसीएल द्वारा दुर्घटना रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाये जा रहे हैं. आज तक मुआवजा नीति भी नहीं बनी है. जिसके कारण दुर्घटना के शिकार लोगों के परिजनों को समुचित मुआवजा नहीं मिल रहा है. लोगों ने लापरवाह ट्रांसपोर्टरों पर कार्रवाई की मांग की है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है