सिमरिया. प्रखंड में डेढ़ माह से लगातार हो रही बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है. इचाकखुर्द गांव के किसानों की स्थिति सबसे अधिक गंभीर है. इस गांव में बारिश से फसलों की बड़े पैमाने पर बर्बादी हुई है. यहां के किसानों ने 30 एकड़ भूमि पर टमाटर, फूलगोभी, बैंगन, मिर्च, खीरा, भिंडी, झिंगी और परौर आदि सब्जियों की खेती की थी, लेकिन उनकी मेहनत पर पानी फिर गया है. फसलों की बर्बादी से किसान चिंतित हैं. किसानों की मानें, तो फसलों की ऐसी बर्बादी हुई है कि उनका पूंजी निकल पाना भी मुश्किल है. यहां के किसानों को करीब एक करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. ग्रामीणों के अनुसार कई किसानों ने बैंक से कर्ज लेकर खेती की. इचाकखुर्द गांव के साथ चंदिया, डाड़ी, एदला, पुंडरा, खपिया, पगार, हुरनाली, तलसा, आमगांवा, नावाटांड़, शिला, बिरहु, चोपे आदि गांवों के किसानों ने खेती में अपनी पूंजी झोंक दी है, लेकिन बारिश ने सब्जियों की फसलों को ऐसा नुकसान पहुंचाया है कि उनकी कमर टूट गयी है. दुकानदारों को कैसे चुकायेंगे खाद-बीज का पैसा इचाकखुर्द गांव के किसान राजेंद्र दांगी और बिगन दांगी के अनुसार उन्होंमे आठ एकड़ भूमि पर टमाटर, चार एकड़ पर फूलभगोभी खेती की. इसके लिए तीन लाख रुपये की पूंजी लगायी. लेकिन, बारिश ने पूरी तरह से बर्बाद को कर दिया. स्थिति यह है कि वे खाद बीज का पैसा नहीं दे पा रहे हैं. इसी तरह मोती दांगी ने कहा कि एक एकड़ भूमि में मिर्च, एक एकड़ में फूलगोभी, दो एकड़ में बैंगन की खेती की. दो लाख रुपये की पूंजी लगायी, लेकिन पांच हजार रुपये भी नसीब नहीं हुआ. गणेश दांगी ने कहा कि दो एकड़ में टमाटर, खीरा, भिंडी, झिंगी परौर आदि की खेती की. इसके लिए एक लाख रुपये की पूंजी लगायी. अब बैंक को ऋण चुकाना आफत हो रहा है. नारायण दांगी ने कहा कि एक एकड़ में मिर्च, बोदी, लौकी की खेती में 50 हजार पूंजी लगा है, जो पूरी तरह से बर्बाद हो गया. किसानों ने आपदा राहत के तहत राज्य सरकार से राहत कोष से मुआवजा देने की मांग की है.
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