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धूल से लोगों का जीना हुआ दूभर

टंडवा-सिमरिया पथ में कोल वाहनों का परिचालन से हमेशा धूल उड़ता रहता है. जिसके कारण सड़क किनारे रहने वाले लोग व दुकानदारों को काफी परेशानी हो रही है.

कोल परियोजनाओं के शुरू होने से लोगों की परेशानी बढ़ी, सड़को पर नहीं होता हैं पानी का छिड़काव कोयला ढुलाई का संचालन में ट्रांसपोर्टर नियमों की अनदेखी करते हैं अबतक 800 लोगों की जान जा चुकी है मुआवजा नीति नहीं बनने से होती है परेशानी 18 सीएच 7- कोयला की ढुलाई करता हाइवा. दीनबंधू चतरा. टंडवा-सिमरिया पथ में कोल वाहनों का परिचालन से हमेशा धूल उड़ता रहता है. जिसके कारण सड़क किनारे रहने वाले लोग व दुकानदारों को काफी परेशानी हो रही है. कोयले की ढुलाई टंडवा के आम्रपाली, मगध व हजारीबाग केरेडारी के चट्टी बारियातु से होती है. हर रोज करीब एक हजार वाहनों का परिचालन होता है. ट्रांसपोर्टरों द्वारा सड़क पर पानी का छिड़काव नहीं किया जाता है. जिससे लोगों में ट्रांसपोर्टरों के प्रति रोष है. प्रशासन के निर्देश के बाद भी ट्रांसपोर्टर नियम कानून को ताख पर रख कर कोयले की ढुलाई की जा रही है. दिन-रात कोयले की ढुलाई की जाती है. सड़कों पर हमेशा धूल गर्दा उड़ता रहता है. जिससे लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है. घर व दुकानों में धूल की मोटी परत जम जाती है. खाने-पीने का सामान बर्बाद हो रहा है. कोल वाहन को चालक लापरवाही से चलाते है, जिससे आये दिन दुर्घटना होती है. जब से मगध व आम्रपाली कोल परियोजना चालू हुआ है, 800 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. मुआवजा नीति नहीं बनने से मृतक के आश्रितो को समुचित मुआवजा नहीं मिल रहा है. दुर्घटना के बाद विरोध करने पर सीसीएल, जिला व पुलिस प्रशासन की ओर से मुआवजा नीति बनाये जाने की बात कही जाती है. लेकिन बाद में भूल जाते है. कोयले की ढुलाई टंडवा के सेरनदाग, मिश्रौल, खधैया, धनगड्डा, सिमरिया के मुरबे, डाड़ी, बकचुंबा, पचफेड़वा, कुट्टी, सिमरिया, हर्षनाथपुर, देल्हो, चतरा के विराजपुर, सीमा, हासबो, हफुआ, चतरा बाईपास सड़क से होकर खरीक, दारियातु, लोवागड़ा, गिद्धौर के गिद्धौर, गांगपुर, बलबल दुवारी आदि गांवो से होकर कटकमसांडी तक कोयले की ढुलाई होती है. इसके अलावा सिमरिया से कटकमदाग व बगरा होकर चंदवा तक हाइवा से कोयला की ढुलाई की जाती है. उक्त सभी सड़को में हमेशा दुर्घटना होती रहती है. नो इंट्री का नहीं होता है पालन सिमरिया में सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक नो इंट्री लगा रहता है. इसके बावजूद कोल वाहनों का परिचालन होता है. ग्रामीणों ने कई बार कोल वाहन को पकड़ कर प्रशासन को सौंपा, इसके बावजूद नो इंट्री का उल्लंघन किया जाता है. सिमरिया के डाड़ी के पास वाहनों को रोका जाता है. स्थानीय वाहन मालिकों के द्वारा जबरन नो इंट्री के समय वाहनों को प्रवेश कराया जाता है. लोगो ने नो इंट्री का सख्ती से अनुपालन कराने की मांग की. लोगो ने कहा डाड़ी के विरेंद्र कुमार ने कहा कि कोल वाहनों से उड़ने वाले धूल से परेशान हैं. दिनभर धूल उड़ता रहता है, सांस लेने में दिक्कत होती है. हिरामन साव ने कहा कि नो इंट्री के बावजूद कोल वाहनों का परिचालन होता है. मनोज कुमार ने कहा कि कोल वाहनों के चलने से धूल उड़ता है. दुकान में रखे अधिकांश समान खराब हो जाता है. दिलेश्वर साव ने कहा कि जब से कोल वाहनो का परिचालन शुरू हुआ है, काफी नुकसान हो रहा है. ग्राहक दुकान नहीं पहुंच रहे है.

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