डिजिटल अरेस्ट कुछ नहीं होता, इसके चक्कर में नहीं पड़ें: एसडीपीओ सिमरिया. सिमरिया इंटर कॉलेज सिमरिया में सोमवार को प्रभात खबर की ओर से साइबर क्राइम के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एसडीपीओ शुभम खंडेलवाल व विशिष्ट अतिथि थाना प्रभारी प्रियेश प्रसून थे. अतिथियों को प्राचार्य कन्हैया मिस्त्री व प्रीमियम कोचिंग सेंटर के डायरेक्टर राधेश्याम पांडेय ने बुके देकर स्वागत किया. कार्यक्रम का संचालन प्रो आनंद कुमार सिंह ने किया. कार्यक्रम के दौरान छात्र-छात्राओं व शिक्षकों को बताया गया कि आजकल कई लोग साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं. इससे बचने की जरूरत है. इसके लिये जागरूक होने की जरूरत है. मोबाइल पर अनजान लिंक न खोले और न ही माेबाइल पर आये ओटीपी किसी को बतायें. ऐसा करने से आपका बैंक बैलेंस खाली हो सकता है. बताया गया कि साइबर अपराधी वाहन दिलाने, लोन दिलाने, लॉटरी लगी है, अकाउंट बंद हो जायेगा, जॉब लगा है आदि से जुड़ी बातें बता कर लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं और उनसे ठगी करने का काम करते हैं. कई लोग अनचाहे में ऐसे लोगोंं के बहकावे में आकर अपनी जमा पूंजी को खो बैठते हैं. कोई व्यक्ति अगर ऐसे लोगों के शिकार होते हैं, तो तुरंत हेल्पलाइन 1930 नंबर पर पांच-दस मिनट में फोन कॉल करें, फिर उनका बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिया जायेगा. साथ ही नजदीकी थाना में जाकर मामला दर्ज करायें. कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं को आसपास के 10 से 20 लोगों को साइबर क्राइम से बचने के प्रति जागरूक करने को कहा गया. कार्यक्रम के दौरान छात्र-छात्राओं द्वारा पूछे गये सवालों का एसडीपीओ ने जवाब दिया. कुछ छात्र-छात्राओं ने अपने साथ हुई घटना को साझा किया. कार्यक्रम में प्रो जयप्रकाश सिंह, ठाकुर बिनोद प्रताप, शिक्षा कर्मी मुकेश राणा, गंदौरी साव, भागवत राम सहित छात्र छात्राएं उपस्थित थे. डिजिटल अरेस्ट कुछ नहीं होता है :एसडीपीओ एसडीपीओ शुभम खंडेलवाल ने साइबर क्राइम के खिलाफ प्रभात द्वारा चलाये जा रहे जागरूकता कार्यक्रम की सराहना की. एसडीपीओ ने कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं व शिक्षकों को साइबर क्राइम से बचने के कुछ उपाय बताये. उन्होंने कहा कि फेसबुक, इंस्टाग्राम का पासवर्ड 90 दिन में बदलते रहें, मोबाइल पर कोई भी लिंक आता है, तो उसे बिना जाने न खाेलें, मोबाइल पर आये ओटीपी को किसी को शेयर नहीं करे, ऑनलाइन शॉपिंग करने पर आये ओटीपी को किसी दूसरे को न बतायें. उन्होंने कहा कि डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी होती है. यह साइबर फ्रॉड का ऐसा तरीका है, जिसमें साइबर अपराधी खुद को पुलिस अधिकारी, साइबर सेल एजेंट या सरकारी जांच एजेंसी का सदस्य बता कर कॉल करते हैं. वे डराते-धमकाते हैं कि आपके खिलाफ कोई गंभीर मामला है. ऐसे लोगों से डरे नहीं, बल्कि इनकी शिकायत करें. उन्होंने कहा कि डिजिटल अरेस्ट कुछ भी नहीं है. आज पढ़े-लिखे लोग भी साइबर अपराधी के चक्कर में फंस कर ठगी का शिकार हो रहे हैं. अगर ठगी का शिकार होते हैं, तो तुरंत 1930 नंबर पर कॉल कर मामला दर्ज करायें. साथ ही थाना को आवेदन में देकर प्राथमिकी दर्ज करायें. लोगों को जागरूक होने की जरूरत: थाना प्रभारी थाना प्रभारी प्रियेश प्रसून ने कार्यक्रम की सराहना की. उन्होंने कहा कि साइबर अपराधी के लालच में आकर कई लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं. इससे लोगों को बचने की जरूरत है. मोबाइल पर आने वाले ओटीपी किसी को न दें और न ही शेयर करे. उन्होंने साइबर क्राइम के खिलाफ जागरूक होने की सलाह दी है. साइबर क्राइम से बचने का एक मात्र उपाय जागरूकता : मौसमी मौसमी कुमारी ने कहा कि साइबर क्राइम से बचने का एकमात्र उपाय जागरूकता है. कहा कि अनचाहे फोन कॉल आते हैं, तो उसका जवाब न दें. कार्यक्रम में साइबर क्राइम से बचने की जो जानकारी दी गयी है, उसे अपने परिवार व गांव के लोगों को देकर जागरूक करें. लोगों की सलाह मानी और ठगी का शिकार होने से बचा :सुमन सुमन कुमार ने कहा कि एक बार उसके मोबाइल पर डिजिटल अरेस्टिंग होने का कॉल आया. इससे वह हड़बड़ा गया और इसकी जानकारी कई लोगों को दी. लोगों ने बताया कि ठगों का फोन सकता है, फिर उसने कोई जवाब नहीं दिया. इस तरह ठगी का शिकार होने से बचा. साइबर अपराधियों ने 10 हजार ठगा : दिवाकर दिवाकर कुमार ने कहा कि जॉब लगने के नाम पर साइबर अपराधियों ने उसके साथ ठगी की. 10 हजार रुपये साइबर अपराधियों ने उससे ठग लिया. इसकी सूचना तुरंत थाना को दी.अब किसी तरह कॉल आता है, तो इसे लेकर सतर्क रहता हूंं और दूसरों को जागरूक कर रहा हूं.
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