कुंदा. बारिश शुरू होते ही प्रखंड के करीब दस विद्यालयों के 1721 बच्चों के शिक्षा पर प्रभाव पड़ा है. विद्यालय के समीप स्थित नदियों का जलस्तर बढ़ने से छात्र-छात्राओं के अलावा शिक्षक विद्यालय नहीं पहुंच पा रहे हैं. भारी बारिश के कारण कई गांवों का संपर्क विद्यालय से कट गया है. बारिश का हाल यह है कि कई गांव छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट टापू में तब्दील हो चुके हैं. ऐसे में बच्चे घंटों बैठकर नदी में पानी कम होने का इंतजार करते हैं. हालांकि कुछ विद्यालयों के बच्चे जान जोखिम में डाल नदी पार कर विद्यालय जा रहे हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका बनी हुई है. वहीं विद्यालय प्रबंधन को भी मध्याह्र भोजन का चावल, किताब-कॉपी, गैस सिलिंडर समेत अन्य सामग्री स्कूल तक ले जाने में परेशानी हो रही है. शिक्षकों के अनुसार कई बार राशन ले जाने के क्रम में नदी में सामग्री भींग जाती है. इन विद्यालय के बच्चों की पढ़ाई बाधित: प्रखंड के एनपीएस उलवार, ककनातू, रेंगनियातरी, पचंबा, इचाक, घुट्टीटोंगरी, खुशियाला, करीलगड़वा, आसेदेरी, यूपीएस लुकुइया-बुटकुइया के बच्चों की पढ़ाई बरसात में बाधित हो गयी है. उक्त विद्यालय के बच्चे पीठ पर बैग, हाथ में जूता लेकर नदी पार करने को विवश हैं. क्या कहते हैं विद्यार्थी: नामधारी कुमारी: लुकुइया-बुटकुइयां विद्यालय के छात्र नामधारी कुमार ने कहा कि बरसात के दिनों में नदी में अधिक पानी होने से नदी पार करने में डर बना रहता है. घंटों नदी किनारे बैठ पानी कम होने का इंतजार करना पड़ता है. सुकेश कुमार: घुट्टी टोंगरी के छात्र सुकेश कुमार ने कहा कि बरसात में तीन माह तक विद्यालय आनेजाने में काफी परेशानी होती है. सभी छात्र एक-दूसरे के हाथ पकड़ कर नदी पार करते हैं. कई छात्र के परिजन अपने बच्चों को नदी पार करा कर स्कूल भेजते हैं. मिथिलेश कुमार: स्थानीय छात्र मिथिलेश कुमार ने कहा कि पिछले वर्ष नदी पार करने के दौरान एक छात्र बह गया था. हालांकि ग्रामीणों की तत्परता के कारण उसे बचा लिया गया. बारिश के दिनों में उन्हें स्कूल जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शिक्षक भी परेशान रहते हैं. क्या कहते हैं शिक्षक: लुकुइया-बुटकुइया के शिक्षक इंद्रदेव यादव ने कहा कि स्कूल के समीप अंबा नदी है. नदी पर पुल नहीं है. स्कूल में छू्ट्टी होने के बाद नदी में अधिक पानी होने पर खुद बच्चों को नदी पार कराते हैं.
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