संवाददाता, देवघर. सड़क सुरक्षा को लेकर विभाग लाख जागरुकता अभियान चला ले, लेकिन नतीजे शून्य ही नजर आ रहे हैं. न यातायात नियमों का पालन हो रहा है, न ही दुर्घटनाओं में कोई कमी दिख रही है. विभाग के लगातार अभियान और चेकिंग के बावजूद जिले में सड़क हादसों की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रहा है. हर दिन यातायात पुलिस शहर के मुख्य चौक-चौराहों पर चेकिंग अभियान चलाकर नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगा रही है. दर्जनों ड्राइविंग लाइसेंस भी प्रतिदिन जब्त किये जा रहे हैं. मार्च महीने में विभाग ने युवाओं को जागरूक करने के लिए लाखों रुपये खर्च किये, लेकिन इसका असर जमीनी स्तर पर नजर नहीं आ रहा है. पुलिस विभाग के विभिन्न थाना क्षेत्रों से प्राप्त आंकड़े चौंकाने वाले हैं. जनवरी से अप्रैल तक के चार महीनों में कुल 57 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 82 लोगों की जान चली गयी. मरने वालों में 80 प्रतिशत युवा वर्ग के हैं, जिनकी उम्र 25 से 45 वर्ष के बीच है. इनमें से अधिकतर ने हेलमेट नहीं पहना था. इसके अलावा 53 लोग गंभीर रूप से घायल हुए, जबकि चार लोग मामूली रूप से जख्मी हुए. यह स्थिति साफ इशारा करती है कि तेज रफ्तार पर नियंत्रण में विभाग पूरी तरह विफल रहा है. स्पीड ड्राइविंग, बिना हेलमेट और लापरवाही से वाहन चलाना जानलेवा साबित हो रहा है. हालांकि विभाग की ओर से हिट एंड रन योजना के तहत अब तक 88 पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की प्रक्रिया भी पूरी की गयी है. फिर भी सवाल उठता है कि क्या जागरुकता कार्यक्रम सिर्फ औपचारिकता भर बनकर रह गया है. जब तक आमजन खुद नियमों के पालन के लिए जागरूक नहीं होंगे, तब तक सड़क हादसों पर अंकुश लगाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन साबित होगा. ॰जागरुकता अभियान के बावजूद नहीं थम रहा हादसों का सिलसिला ॰मरने वालों में 80 प्रतिशत युवा वर्ग के हैं, जिनकी उम्र 25 से 45 वर्ष के बीच ॰अधिकतर मामलों में बाइक चलाने वाले ने हेलमेट नहीं पहना था
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