संवाददाता, देवघर : श्रावणी मेला का 14वां दिन गुरुवार को पूरे उल्लास के साथ संपन्न हो गया. जैसे-जैसे मेला अपने चरम पर पहुंच रहा है, कांवरियों की संख्या में भी निरंतर बढ़ हो रही है. कांवरिया पथ स्थित दुम्मा से झारखंड के प्रवेश करते ही उनके थके शरीर में एक नयी ऊर्जा का संचार हो जाता है और कदम तेजी से बाबाधाम की ओर बढ़ जाते हैं. गुरुवार को छत्तीसगढ़ से आये कांवरियों के एक बड़े जत्थे ने लोगों का ध्यान खींचा. इस जत्थे में शामिल गुरुगोविंद कुमार ने बताया कि यह यात्रा उनके जीवन की दिशा ही बदल चुकी है. उन्होंने बताया कि आज से करीब 15 साल पहले उन्होंने और उनके चार दोस्तों ने मिलकर पहली बार कांवर यात्रा शुरू की थी. उस समय वे सभी जीवन की परेशानियों से जूझ रहे थे. इस यात्रा ने उनके जीवन में जो चमत्कारी परिवर्तन लाया, वह उनके लिए अप्रत्याशित था. गुरुगोविंद ने बताया कि पहले वर्ष की यात्रा के बाद से ही उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव शुरू हो गये. अगले वर्ष उनके साथ गांव के 50 लोग जुड़े और आज यह संख्या बढ़कर तीन सौ तक पहुंची हो चुकी है. सावन शुरू होने के दो महीने पूर्व ही उनके गांव में इस यात्रा को लेकर बैठक शुरू हो जाती है. यात्रा की योजना, व्यवस्था और सामूहिक तैयारी पूरे समर्पण और श्रद्धा के साथ की जाती है. देर शाम तक पौने दो लाख कांवरियों ने चढ़ाया जल बाबा मंदिर में गुरुवार को शाम सात बजे तक करीब पौने दो लाख कांवरियों ने बाबा बैद्यनाथ को जलार्पण किया. इनमें मुख्य अरघा से लेकर बाह्य अरघा तक कांवरियों की भीड़ देखी गयी. वहीं शीघ्रदर्शनम कूपन व्यवस्था के तहत 13,225 कांवरियों ने जलार्पण किया. सुबह चार बजे बाबा का पट आम श्रद्धालुओं के लिए खोला गया, जिसके पहले तक कांवरियों की कतार बरमसिया तक पहुंच गयी थी. बीएड कॉलेज से लेकर शाम चार बजे तक कांवरियों को मंदिर पहुंचाने की व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रही. उसके बाद जलसार चिल्ड्रेन पार्क से कांवरियों को भेजने की प्रक्रिया शुरू की गयी.
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