संवाददाता, देवघर : श्रावणी मेले के दौरान आस्था की गूंज चारों ओर सुनायी दे रही है. बाबा बैद्यनाथ धाम में जलार्पण करने के बाद भक्त जिस ओर सबसे पहले रुख करते हैं, वह है भैरव बाबा का मंदिर. धार्मिक मान्यता है कि किसी भी ज्योतिर्लिंग की पूजा तब तक पूर्ण नहीं मानी जाती, जब तक वहां विराजमान भैरव बाबा की पूजा न की जाये. इसी परंपरा और आस्था का निर्वाह करते हुए बाबा बैद्यनाथ के दर्शन के बाद श्रद्धालु भैरव बाबा की शरण में जा रहे हैं. बाबा मंदिर परिसर में न केवल महाकाल भैरव, बल्कि आनंद भैरव का भी मंदिर स्थित है. खास बात यह है कि आनंद भैरव का यह मंदिर विधिवत प्राण-प्रतिष्ठा के बाद स्थापित किया गया है, जिसे एक सिद्ध स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है. मान्यता है कि यहां पूजा करने से भक्त के जीवन में आनंद भर जाता है. यही कारण है कि मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. इस मंदिर की लोकप्रियता का एक कारण इसका स्थान भी है. बाबा मंदिर में जलार्पण कर जब भक्त मुख्य निकास द्वार से बाहर निकलते हैं, तो पार्वती मंदिर की बायीं ओर उन्हें आनंद भैरव का मंदिर साफ दिखाई देता है. ऐसे में पार्वती माता को प्रणाम करने के बाद भक्तों की अगली मंजिल यही मंदिर होती है. यह भी कहा जाता है कि भैरव बाबा दिन-रात विचरण करते हैं, इसलिए उन्हें थकावट होती है. इसी भावनात्मक जुड़ाव के साथ भक्त मंदिर में पहुंचकर न केवल पूजा करते हैं, बल्कि प्रतिमा के चरणों को सहला कर उनकी थकान दूर करने की कामना करते हैं. भक्तों का विश्वास है कि इससे उनके जीवन में स्थायी सुख और आनंद बना रहता है. रात आठ बजे तक डेढ़ लाख कांवरियों ने चढ़ाया जल गुरुवार को बाबा मंदिर में अपेक्षाकृत भीड़ कम रही, लेकिन कांवरियों का निरंतर आगमन जारी रहा. इसे देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा दोपहर तीन बजे तक कांवरियों को सरकार भवन से बीएड कॉलेज के रास्ते बाबा मंदिर में प्रवेश की व्यवस्था की गयी थी. यह व्यवस्था शाम पांच बजे तक जारी रही, उसके बाद जलसार चिल्ड्रेन पार्क के रास्ते कांवरियों को प्रवेश दिया गया. भीड़ कम होने के बावजूद शीघ्रदर्शनम कूपन की लोकप्रियता बरकरार रही. शाम में काउंटर बंद होने तक कुल 9208 श्रद्धालुओं ने इस सुविधा का लाभ लिया. वहीं, मुख्य एवं बाह्य अरघा के अलावा कूपन व्यवस्था के तहत रात आठ बजे तक करीब डेढ़ लाख कांवरियों ने बाबा को जल अर्पित किये.
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