Muslim Law: भारतीय कानून के अनुसार पिता के निधन के बाद उनकी संपत्ति पर उनके बच्चों का ही अधिकार होता है. यह अधिकार बेटे और बेटियों को एक समान रूप से मिलता है. मतलब पिता की जो भी संपत्ति है, वह उनके सभी बच्चों में बराबर बंटेगी. लेकिन मुस्लिम लॉ के अनुसार पिता की संपत्ति में बेटे और बेटियों को एक समान अधिकार नहीं मिलता है. प्रभात खबर के लीगल काउंसेलिंग में देवघर कोर्ट के अधिवक्ता मो साकिब खान ने लोगों को कानूनी सलाह देते हुए बताया कि हिंदू लॉ और मुस्लिम लॉ में कितना अंतर है.
मुस्लिम लॉ में बेटियों को कितना मिलता है हक?
हिंदू लॉ में पिता की संपत्ति में सभी पुत्र व पुत्रियों को समान हक है, लेकिन मुस्लिम लॉ में ऐसी बात नहीं है. मुस्लिम लॉ में पिता की संपत्ति पर पुत्र व पुत्रियों के हक में अंतर है. अगर किसी को एक पुत्र व तीन पुत्रिया है और माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है, तो पुत्र को दो अंश एवं पुत्रियों को एक-एक अंश मिलने का प्रावधान है. इसी प्रकार चार से अधिक संताने है, तो वहां पर भी संपत्ति का अंश बदल जायेगा. पुत्रियों की संख्या अधिक व पुत्र की संख्या कम होने पर हिस्से में बदलाव हो जाता है और पुत्रियों का हिस्सा और अधिक कम हो जाता है.
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मुस्लिम लॉ में कैसे मिलता है तलाक?
वहीं, तलाक अधिनियम यानि डायवोर्स एक्ट में भी बदलाव कर दिया गया है. पहले एक ही बार में तीन तलाक देने का प्रावधान था, लेकिन नये कानून के तहत एक बार में तीन तलाक नहीं दिया जा सकता है. एक-एक महीने के अंतराल में तीनों तलाक देने के बाद ही कानूनन वैध माना जायेगा.