संवाददाता, देवघर . शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ कुंदन कुमार के साथ बीते दिनों हुई मारपीट की घटना के बाद से ही चिकित्सकों में आक्रोश है. घटना के खिलाफ राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) और झारखंड राज्य स्वास्थ्य सेवा संघ (झासा) के चिकित्सकों ने घटना के आरोपितों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर बुधवार को कार्य बहिष्कार किया. जिलेभर के 250 चिकित्सक बुधवार की सुबह आठ बजे से हड़ताल पर चले गये. इस दौरान जिले के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों व क्लिनिकों की ओपीडी सेवा पूरी तरह से बंद रही. हालांकि, इमरजेंसी सेवाओं को चालू रखा गया. ताकि गंभीर मरीजों की तत्काल इलाज मिल सके. वहीं हड़ताल के समर्थन में जिला इंडियन डेंटल एसोसिएशन, फिजियोथेरेपी एसोसिएशन और स्वास्थ्य कर्मचारी भी साथ में आये. जिले में चिकित्सकों के हड़ताल पर रहने के कारण जिले के विभिन्न अस्पतालों में ओपीडी सेवा होने के कारण जिला में करीब 6,000 मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पायी. हालांकि कहीं से कोई अप्रिय घटना नहीं मिली. इन मरीजों को ओपीडी सेवा नहीं मिलने के कारण मरीजों को वापस लौटना पड़ा. इसमें सबसे अधिक परेशानी छोटे बच्चे व बुजुर्गों को हुई. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सदर अस्पताल में प्रतिदिन करीब 600 मरीजों की जांच और इलाज किया जाता है. जिसमें करीब 250 मरीजों का ही इमरजेंसी में इलाज हो सका. इसके अलावा जिले के अन्य अनुमंडल अस्पतालों और सीएचसी समेत निजी क्लिनिक व अस्पतालों में करीब पांच हजार मरीजों को ओपीडी सेवा दी जाती है, लेकिन ओपीडी सेवा बंद रहने के कारण इन सभी को भी वापस लौटना पड़ा. इसके अलावा इमरजेंसी में भी मरीज पहुंचते हैं. इमरजेंसी में मरीजों का इलाज चिकित्सकों ने किया. इतना ही नहीं हड़ताल के कारण चिकित्सकों ने न केवल ओपीडी सेवा बंद रखी. कुछ अस्पतालों में सर्जनों ने माइनर ऑपरेशन को भी टाल दिया, जिससे मरीजों और उनके परिवारों को काफी परेशानी हुई.
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