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जयंती पर याद किये गये राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त

मैथिलीशरण गुप्त हिन्दी साहित्य में खड़ी बोली के प्रणेता व सांस्कृतिक उत्थान के पैरोकार थे

मधुपुर. शहर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में सोमवार को राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती मनायी गयी. उपस्थित लोगों ने उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया. मौके पर धनंजय प्रसाद ने कहा कि मैथिलीशरण गुप्त हिन्दी साहित्य में खड़ी बोली के प्रणेता व सांस्कृतिक उत्थान के पैरोकार थे. उन्होंने हिन्दी कविता को एक दिशा देने का काम किया है. भारत – भारती उनकी राष्ट्रीय संस्कृति के उत्थान के लिए एक क्रांतिकारी कदम रहा है. बीसवीं सदी के कवियों में उनका एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है. स्वतंत्रता के वे पहले राजसभा के सदस्य थे. जिन्होंने राजनीतिक मामले में सम्मति प्रसंग व बजट पर अपनी काव्यात्मक टिप्पणी के लिए चर्चित थे. महात्मा गांधी ने सर्वप्रथम राष्ट्रकवि कहकर संबोधित किया था. वे गांधी के संपर्क में 1932 से ही थे और सत्याग्रह के दरम्यान 1942 में जेल गये. उनकी प्रमुख कृतियां भारत – भारती, पंचवटी, यशोधरा, साकेत, जयद्रथ बध व कई नाटक भी लिखे थे. इसके अलावे अन्य लोगों ने भी अपने विचार व्यक्त किया.

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