पालोजोरी. संताल हूल यानि संताल विद्रोह के अमर नायक सिदो कान्हू के आह्वान पर 30 जून 1855 को साहिबगंज जिला के भोगनाडीह में 30 हजार से भी ज्यादा की संख्या में जुटे आदिवासी संताल समुदाय के लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का विगुल फूंका था. इसी के याद में 30 जून को हूल दिवस मनाया जाता है. इस वर्ष भी हूल दिवस के अवसर पर पालोजोरी के बगदाहा व मानपुर में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित होंगे. जानकारी हो प्रखंड क्षेत्र में स्थित तात्कालिक कुंजोड़ा स्टेट के मानपुर गांव से हूल नायक कान्हू की गिरफ्तारी हुई थी. अंग्रेजों ने तीन जनवरी 1856 को मानपुर गांव में कान्हू को पेड़ के छांव में आराम फरमाते हुए गिरफ्तार कर सिउड़ी जेल ले जाया गया था. जहां कोर्ट में 14 फरवरी 1856 को ट्रायल के बाद फांसी की सजा सुनाई गई. इसके बाद 23 फरवरी 1856 को भोगनाडीह में फांसी दे गयी. इससे एक दिन बाद अंग्रेजों ने सिदो मुर्मू को भी पंचकठिया के बाबूपुर में फांसी पर लटका दिया. इन शहिदों के याद में प्रत्येक वर्ष हूल दिवस मनाया जाता है. वहीं, हूल दिवस पर पालोजोरी के बगदाहा व मानपुर में गांव में सिदो कान्हू स्मारक समिति के सदस्यों द्वारा कई विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाता है.
आज बगदाहा में आयोजित होगा सांस्कृतिक कार्यक्रम:
बगदाहा व मानपुरा में हूल दिवस पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों को लेकर सिदो कान्हू स्मारक समिति के सदस्य सक्रिय रूप से जुटे हुए हैं. रविवार को झारखंड आंदोलनकारी चिन्हितिकरण आयोग के सदस्य नरसिंह मुर्मू के अगुवाई में समिति के सदस्य युधिष्ठिर प्रसाद सिंह यादव, देवेन्द्र मुर्मू सहित अन्य लोगों ने तैयारियों का जायजा लिया.हाइलाइर्ट्स: 3 जनवरी 1856 को पेड़ के नीचे आराम करते हुए पकड़ा गया था कान्हू बाद में अंग्रेजो ने उसे भोगनाडीह में 23 फरवरी 1856 को फांसी में लटकाया था
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