संवाददाता, देवघर : श्रावणी मेला अब अंतिम पड़ाव की ओर है. बाबा धाम में आस्था की गूंज तो सुनाई दे रही है, लेकिन कांवरियों की भीड़ में गिरावट साफ दिखने लगी है. भीड़ में कमी के चलते जलार्पण में अब श्रद्धालुओं को सहूलियत हो रही है. मंगलवार को बाबा मंदिर का पट बंद होने तक 1.20 लाख कांवरियों ने जलार्पण किया. अब सावन माह में चार दिन शेष हैं तथा शनिवार को पूर्णिमा के अवसर पर दोपहर बाद से बाबा भोलेनाथ की स्पर्श पूजा प्रारंभ हो जायेगी. अंतिम सोमवारी को भारी भीड़ उमड़ने के बाद मंगलवार को कतार में सुस्ती दिखी. खासकर कांवरिया पथ खाली-खाली नजर आया. शिवगंगा क्षेत्र, बाबा मंदिर परिसर और कांवरिया मार्गों पर भी अब श्रद्धालुओं की भीड़ पहले की अपेक्षा कम हो गयी है. मंगलवार की सुबह तय समय पर बाबा मंदिर का पट खुलते ही पुजारी द्वारा सरदारी पूजा की गयी तथा सवा चार बजे से जलार्पण प्रारंभ करा दिया गया. इस दौरान आम कतार बीएड कॉलेज से सिमट कर तिवारी चौक तक ही रह गयी. सुबह 10 बजे तक आने वाले कांवरियों को सरकार भवन चौक से मंदिर की ओर भेजा जा रहा था, जबकि इसके बाद साढ़े दस बजे से जलसार पार्क, मानसरोवर हनुमान मंदिर होते हुए सीधे क्यू कॉम्प्लेक्स मार्ग से मंदिर भेजने की व्यवस्था रही. इस व्यवस्था से आम कांवरिये एक से सवा घंटे में आराम से जलार्पण कर बाबा का जयकारा लगाते हुए बाहर निकलते नजर आये. वहीं, शीघ्रदर्शनम कूपन और बाह्य अरघा से जलार्पण करने वाले कांवरिये 10 से 15 मिनट में जलार्पण कर रहे थे. इस दौरान कुल 1,20,648 कांवरियों ने जलार्पण किया. इनमें से मुख्य अरघा से 1,00,115, बाह्य अरघा से 13,231 और शीघ्रदर्शनम कूपन से 7,302 श्रद्धालुओं ने जलार्पण कर बाबा भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त किया. नेपाल के जनकपुर से आये राम गोपाल झा ने बताया कि वे हर साल सौ से डेढ़ सौ कांवरियों के साथ सुल्तानगंज से बाबा नगरी जल भरकर आते हैं. इस बार की व्यवस्था पिछले वर्षों की तुलना में काफी बेहतर रही. उन्होंने कहा कि मुख्य अरघा से लेकर बाह्य अरघा तक की व्यवस्था सहज और भक्तों की सुविधा को ध्यान में रखकर की गयी है. कांवरियों की टीम ने बाबा मंदिर कंट्रोल रूम में पहुंच कर अधिकारियों को धन्यवाद भी दिया. हालांकि, कुछ परेशानियां भी सामने आयी हैं. उन्होंने बताया कि इस बार छोटे वाहनों का किराया काफी अधिक लिया जा रहा है. पिछले वर्ष दर्दमारा के पास बस खड़ी करने के बाद ऑटो से दो सौ रुपये किराया लिया गया था, जबकि इस बार ऑटो चालक एक हजार रुपये तक मांग रहे हैं. इस संबंध में कई पुलिस कर्मियों को जानकारी देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. मजबूरी में दो ऑटो को दो हजार रुपये में बुक कर पैर से लाचार भक्तों को भेजा गया, जबकि शेष लोगों ने पैदल ही दर्दमारा तक पहुंचने का निर्णय लिया.
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