Shravani Mela 2025 | देवघर, विजय कुमार: झारखंड के देवघर में स्थित बाबा बैद्यनाथधाम धाम, द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यहां पवित्र सावन माह में कांवर यात्रा के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है. इस दौरान पूरा शहर शिव भक्ति में डूबा नजर आता है. इस बार श्रावणी मेला में बाबा पर जलार्पण करने आ रहे श्रद्धालु शिवलोक परिसर में 12 ज्योतिर्लिंग का दर्शन कर धन्य हो रहे हैं.
शिव पुराण में ज्योतिर्लिंग का वर्णन
शिव पुराण में वर्णन है कि जब-जब ब्रह्मांड में अधर्म बढ़ा है. तब भगवान शिव ने ज्योति (प्रकाश) के रूप में प्रकट होकर जन व लोक कल्याण के लिए लिंग रूप में अवतरण लिया है. ये ज्योतिर्लिंग ना सिर्फ पूजा के केंद्र हैं. बल्कि आत्मा की मुक्ति और ब्रह्म से एकत्व के द्वार भी हैं. भारत के विभिन्न प्रांतों में फैले 12 स्थल शिवभक्तों के लिए विशेष आस्था और तपस्या के भी प्रतीक हैं.
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टूरिस्ट डिपार्टमेंट की प्रदर्शनी

झारखंड टूरिस्ट डिपार्टमेंट (पर्यटन विभाग) की ओर से राजकीय श्रावणी मेला-2025 के अवसर पर शिवलोक परिसर में प्रदर्शनी लगाकर कांवरियों, शिवभक्तों व आमलोगों को खूब आकर्षित किया जा रहा है. हर दिन सैकड़ों भक्त शिविर में पहुंच कर तस्वीर मात्र का दर्शन कर शीश भी झुका रहे हैं. कामना भी कर रहे हैं.
इन मंदिरों का है वर्णन
यहां शिवलोक परिसर में प्रदर्शनी के माध्यम से गुजरात के द्वारका स्थित नागेश्वर, तमिलनाडु स्थित रामेश्वरम, महाराष्ट्र के एलोरा में स्थित घृष्णेश्वर, गुजरात स्थित सोमनाथ, आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में स्थित मल्लिकार्जुन, मध्य प्रदेश स्थित ओंकारेश्वर, उत्तराखंड स्थित केदानाथ, उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ, महाराष्ट्र स्थित त्रयंबकेश्वर, मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर, महाराष्ट्र स्थित भीमाशंकर, झारखंड के देवघर स्थित बैद्यनाथ मंदिर आदि का वर्णन किया गया है.
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तप, समर्पण और विश्वास का प्रतीक है कांवर यात्रा
टूरिज्म डिपार्टमेंट का मानना है कि कांवर और तीर्थ यात्रा की परंपरा सदियों पुरानी है. सावन मास में लाखों शिवभक्त कांवर यात्रा पर अलग-अलग हिस्सों में निकलते हैं. गंगाजल लेकर पैदल चलकर शिवलिंग पर जल अर्पण करने की यह परंपरा तप, समर्पण और विश्वास का प्रतीक है. कांवर यात्रा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, शिव-लीला, भक्तों की कथा और दिव्य प्रसंग की मिल रही जानकारी भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति ने अनेक पौराणिक पात्रों को दिव्य अनुभव प्रदान किया है.
भोलेनाथ से जुड़े किस्सों का है जिक्र
इनमें रावण ने कैलाश उठाने का प्रयास किया और शिव ने उसे दशानन बना दिया. चंद्रदेव ने सोमनाथ में तप कर श्राप से मुक्ति पायी. राम ने लंका विजय से पूर्व रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की. पांडवों ने केदारनाथ में शिव की आराधना की और उनका दर्शन पाया.
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